कानपुर (नीतेश सिंह)। कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। अभियंताओं, तहसीलदारों व अमीनों ने मिलकर कागजों पर ही सड़क बना डाली। इसके बाद संबंधित भूमि का फर्जी मुआवजा दिलाने के नाम पर 72 करोड़ रुपये डकारने की तैयारी का खेल सामने आया तो केडीए उपाध्यक्ष ने पांच अमीनों को निलंबित कर दिया है। तहसीलदार और अभियंताओं के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए शासन के आला अफसरों को पत्र लिखा है। पहली बार प्राधिकरण में इतनी बड़ी कार्रवाई हुई है, जिससे अन्य अफसरों और कर्मचारियों में अफरातफरी का माहौल बना है। केडीए ने तीन दशक पहले ग्र्राम बैरी अकबरपुर बांगर की जगह में इंदिरा नगर योजना विकसित की थी। आराजी संख्या 1098 रकबा 5838ण्76 की भूमि प्राधिकरण ने अधिग्र्रहित नहीं की थी। केडीए ने वर्ष 1988 में तत्कालीन उपाध्यक्ष ने एनओसी भी दे दी कि यह जमीन केडीए की नहीं है। वर्ष 2002 में संबंधित भूमि को हरिमोहन गुप्ता व आधा भाग रमेश चन्द्र गुप्ता ने खरीदा था। वर्ष 2003 को दोनों खरीदारों ने केडीए को शपथ पत्र दिया कि केडीए उनकी भूमि पर सड़क बना ले और बदले में उसी स्तर पर भूमि दे दे। वर्ष 2004 में भूमि के बदले भूमि देने का प्रस्ताव किया गया था लेकिन वह पूर्ण नहीं हो सका। रमेश चन्द्र गुप्ता आदि द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसके क्रम में पूर्व उपाध्यक्ष द्वारा प्रत्यावेदन निस्तारित कर दिया गया। उसमें साफ कहा कि कोई सड़क नहीं बनाई गई है। वर्ष 13 अक्टूबर 2014 को तत्कालीन उपाध्यक्ष के समक्ष अमीन व तहसीलदार ने भ्रामक व तथ्यों के विपरीत आख्या प्रस्तुत की गई कि भूमि का उपयोग प्राधिकरण द्वारा इंदिरा नगर, मकड़ीखेड़ा रोड में कर लिया गया है। भूमि के बदले भूमि दिए जाने का प्रस्ताव बोर्ड में रखा जाए। केडीए उपाध्यक्ष के अनुमोदन लेकर बोर्ड में प्रस्ताव रख दिया। बोर्ड ने आदेश दिए कि एक समिति बनाकर स्थल का निरीक्षण कर आख्या अगली बैठक में दी जाए। अमीन, तहसीलदार व अभियंताओं की समिति ने निरीक्षण करके कहा कि संबंधित भूमि का प्राधिकरण ने प्रयोग कर लिया है। इस बीच हरिमोहन गुप्ता ने हाईकोर्ट में भूमि के मामले में याचिका दायर की। इसमें तहसीलदार ने कहा कि भूमि का प्रयोग केडीए ने 1982 में इंदिरा नगर योजना में कर लिया है। कोर्ट ने 12 सितंबर 2017 को डीएम को आदेश दिए कि दो माह के अंदर प्रतिकर दिया जाए या प्रतिकर निर्धारित किया जाए। प्रतिकर न मिलने पर याची ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की।
जांच मैं खुली परतें दर परतें-सचिव केपी सिंह ने बताया कि 72 करोड़ रुपये मुआवजा मांगा गया तो मामला सामने आया। इसपर उपाध्यक्ष किंजल सिंह ने 14 सितंबर 2018 को जांच बैठाई। जांच समिति में तहसीलदार आत्मा स्वरूप,व्यास नारायण उमराव, वित नियंत्रक विनोद कुमार लाल, विशेष कार्याधिकारी अंजूलता और मुख्य अभियंता डीसी श्रीवास्तव को शामिल किया गया। सचिव की अगुवाई में जांच कमेटी ने दस्तावेजों को खंगाला तो सारी बात का खुलासा हो गया। जांच में पता चला कि अभियंता, अमीन व तहसीलदार ने गलत रिपोर्ट लगाई है। उपाध्यक्ष ने कार्रवाई करके शासन को अवगत भी करा दिया।
केडीए उपाध्यक्ष ने अमीन संतोष कुमार,रामलाल,अंकुर पाल,रमेश चन्द्र प्रजापति और सोहन लाल को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई शुरू की है। संविदा पर तैनात तहसीलदार मन्ना सिंह को हटा दिया गया है। तहसीलदार बीएन पाल,प्रदीप रमन व किशोर गुप्ता के खिलाफ आरोप पत्र गठित करके आयुक्त व सचिव राजस्व परिषद को विभागीय कार्यवाई के लिए पत्र लिखा है।
अभियंताओं पर कार्रवाई के लिए शासन को लिखा पत्र
अधीक्षण अभियंता केके पाण्डेय, अधिशासी अभियंता आरके गुप्ता और सहायक अभियंता अजीत कुमार के खिलाफ आरोप पत्र गठित करते हुए प्रमुख सचिव आवास व शहरी नियोजन विभाग को विभागीय कार्रवाई के लिए भेजा है। केडीए उपाध्यक्ष किंजल सिंह ने बताया कि फजीवाड़े के मामले में अमीनों के निलंबन के साथ तहसीलदार व अभियंताओं पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा है।
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