देहरादून (संवाददाता)। उत्तराखंड भाजपा में यदि सब कुछ ठीक रहा तो आचार संहिता के बाद संगठन के अंदर बड़ा फेरबदल हो सकता है। इसके लिए पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच रस्साकस्सी तेज हो गई है।संगठन के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट नैनीताल से लोकसभा के लिए प्रत्याशी है। 23 मई को मतगणना के बाद यदि जीतते हैं तो वह दिल्ली जाएंगे। दिल्ली जाने के बाद बहुत उम्मीद है कि इस बार उत्तराखंड के कोटे से उन्हें मंत्री बनाया जाएगा। उन्हें मंत्री का पद पारितोषिक के रूप में दिया जाएगा। क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में बेशक अजय भट्ट चुनाव हार गये परंतु उनके नेतृत्व में पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। मौजूदा लोकसभा चुनाव भी उनके ही नेतृत्व में लड़ा गया है और इस बार भी पार्टी को पांचों सीटों पर जीत मिलने की उम्मीद है। तकनीकी तौर पर इसका श्रेय भी प्रदेश स्तर पर अजय भट्ट को ही जाएगा। यानी अजय भट्ट के दिल्ली जाते ही संगठन की जिम्मेदारी किसी और को दी जाएगी। यदि वह दिल्ली नहीं भी जा पाते हैं तो भी उन्हें अध्यक्ष पद से हटना पड़ सकता है। क्योंकि उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है। लोकसभा चुनाव के कारण उन्हें सेवा विस्तार दिया गया था। यदि केन्द्रीय नेतृत्व उन्हें हटाने का फैसला लेता है तो फिर किसी न किसी को अध्यक्ष का पद दिया जाएगा। चूंकि सीएम गढ़वाल से हैं और ठाकुर हैं, इस कारण अध्यक्ष का पद कुमाऊं के ही किसी ब्राह्मण नेता को दिया जाएगा। कुमाऊं के ऐसे नेता जो इस समीकरण में खुद को फिट देख रहे हैं ने अभी से अपनी लाबिंग शुरू कर दी है। एक वरिष्ठ विधायक का लगातार दिल्ली जाना इसी समीकरण की ओर इशारा कर रहा है। यदि अध्यक्ष बदलता है तो संगठन के बाकी पदाधिकारी भी बदले जाएंगे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि संगठन में ओहदा पाने की चाहत रखने वाले नेताओं को आचार संहिता खत्म होने का बेसब्री से इंतजार है।
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