चमोली (संवाददाता)। बदरीनाथ हाईवे पर मई-जून जैसे गर्म महीनों में भी रड़ांग बैंड से कंचनगंगा तक हिमखंडों का दीदार यात्रियों को सुखद अहसास दिलाता रहा है। लेकिन, इस बार यात्रियों को यह शानदार नजारा देखने को नहीं मिलेगा। पूरा क्षेत्र हिमखंड रहित हो चला है। जानकार इसे बदलते मौसम चक्र का परिणाम मान रहे हैं। शीतकाल के दौरान बदरीनाथ में भारी बर्फबारी होती रही है। हनुमानचट्टी से आगे बदरीनाथ हाईवे भी बर्फ से लकदक रहता है। ऐसे में यात्रा शुरू होने से पूर्व बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) व प्रशासन ही नहीं, सरकार के भी हाईवे से बर्फ हटाने में पसीने छूट जाते थे। लेकिन, इस बार शीतकाल में अन्य वर्षों की तुलना में बहुत कम बर्फबारी होने से बदरीनाथ हाईवे सुचारु है और हिमखंड तो दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे। बदरीनाथ हाईवे पर पांडुकेश्वर से बदरीनाथ तक 22 किमी क्षेत्र में विनायकचट्टी गदेरा, खचाचड़ा नाला, लामबगड़ नाला और रड़ांग बैंड पर रड़ांग नाला में सात जगहों के अलावा पागलनाला व कंचनगंगा ऐसे स्थान हैं, जहां हिमखंडों को काटने में ही बीआरओ को एक माह से अधिक का समय लग जाता था। लेकिन, इस बार कम बर्फबारी के चलते हिमखंड बड़ा आकार नहीं ले पाए। वर्षों से बदरीनाथ क्षेत्र के बनते-बिगड़ते स्वरूप को गहराई से जानने वाले 90 वर्षीय नरेंद्र सिंह मेहता कहते हैं कि इस वर्ष दिसंबर से फरवरी के बीच बदरीनाथ में बहुत कम बर्फबारी हुई। मार्च में जरूर ठीकठाक बर्फबारी हुई, लेकिन तापमान बढऩे के कारण हिमखंड नहीं बन पाए। वे कहते हैं, मई-जून में जब देशभर में लू के थपेड़े चल रहे होते हैं, तब हिमखंडों के बीच से बदरीनाथ तक की यात्रा किसी रोमांच से कम नहीं है। यात्री इन अद्भुत दृश्यों को कैमरे में कैद कर साथ ले जाना नहीं भूलते। लेकिन, इस बार हिमखंडों का दीदार उन्हें नहीं होगा। दीदार को उन्हें देश के अंतिम गांव माणा से आधा किमी आगे वसुधारा रूट पर जाना पड़ेगा, जहां हो सकता है कि हिमखंड देखने को मिल जाए। वर्ष 2014 में भारी हिमखंडों ने बदरीनाथ हाईवे को खोलने में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के पसीने छुड़ा दिए थे। तब बीआरओ को मार्ग बर्फ हटाने में डेढ़ माह का समय लगा था। कंचनगंगा में तो यात्रा सीजन के एक माह तक प्लेट बिछाकर वाहनों की आवाजाही कराई गई। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह के मुताबिक श्री बदरीनाथ धाम में इस बार ज्यादा बर्फ नहीं है। बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर पांडुकेश्वर से बदरीनाथ के बीच हिमखंड हर बार मौजूद रहते थे। लेकिन, इस बार पूरी राह सूनी है। हालांकि, माणा से आगे वसुधारा रूट पर हिमखंड मौजूद हैं।राजकीय महाविद्यालय जोशीमठ के वनस्पति विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. एसएस राणा के अनुसार इसे ग्लोबल वार्मिंग का असर कह सकते हैं। हिमालयी क्षेत्र में वाहनों से प्रदूषण बढ़ा है। साथ ही पर्यावरण असंतुलन के अन्य कई कारण भी हैं। इसी के चलते बद्रिकाश्रम क्षेत्र में बर्फबारी धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इस बार दिसंबर से फरवरी के बीच बदरीनाथ धाम सहित उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कम बर्फबारी होने से हिमखंड आकार नहीं ले पाए।
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