-वीरेन्द्र देव गौड़ एवं एम एस चौहान
अनिरुद्धाचार्य को समाजसेवी कहना उचित होगा। वृद्धों और बेसहारा लोगों की सेवा में इन्हें बहुत आनंद आता है। ये गऊ भक्त संत भी है। बंदरों की सेवा करते हैं। अभी आचार्य अनिरुद्धाचार्य नौजवान ही हैं। इनकी विनम्रता तो भगवान राम को भी पीछ छोड़ देती हैं। इन्होंने बाल्यकाल में ही गायों को चराते हुए गीता और हनुमान चालीसा कंठस्थ कर ली थी। इन्हें गऊ माता के बछड़ों के साथ खेलने में भी बहुत आनंद आता है। ये कई बार अपने हाथों से श्रद्धालुओं के लिए खाना बनाते हैं और गायों के लिए चारा भी अपने हाथों से काटते हैं। कथावाचन में भी इनकी अपनी बेजोड़ कला है। इनके आश्रम में बड़ी संख्या में वृद्ध माताएं रहती हैं। ऐसी माताएं जिन्हें घर वालों ने निकाल दिया है। इनका जन्म 27 सितम्बर 1989 को मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुआ था। इनके गाँव का नाम रिंवझा है। बहुत कम आयु में इन्हानें कई शास्त्रों को याद कर लिया था। इनके गुरु गिरिराज शास्त्री जी महाराज है। सनातन धर्म की ध्वजा को लहराने वाले इस संत का जन्म पारम्परिक गऊ भक्त परिवार में हुआ। बाल्यकाल में ये अपने गाँव में स्थित राधा कृष्ण मंदिर में जाकर ठाकुर की पूजा और सेवा में समर्पित रहते थे। आज भी वे ठाकुर की सेवा में जुटे हुए हैं। अनिरुद्धाचार्य महाराज प्रवचन के दौरान श्रद्धालुओं को संस्कार की बातें समझाते हैं और बच्चों को संस्कारित करने की प्रेरणा देते हैं। महाराज जी अक्सर इस बात पर जोर देते हैं कि मुम्बई की फिल्में सनातनी संस्कारों को नष्ट करने का काम कर रही हैं। ये महिला श्रद्धालुओं से यही निवेदन करते हैं कि बच्चे ऐसी फिल्में न देखने पाएं। इनकी बहुत बड़ी खासियत यह है कि ये बहुत विनम्र हैं। कभी कथावाचन के दौरान यदि कोई अप्रिय वचन इनके मुँह से निकल जाता है तो ये ध्यान दिलाए जाने पर क्षमा माँग लेते हैं। इनके अंदर भी देशभक्ति कूट-कूट कर भरी है लेकिन ये आक्रामक तेवरों से दूर रहते हैं। इनका कहना है कि ज्ञान के माध्यम से समाज में सद्भावना फैलाना अच्छा तरीका है। ज्ञान के माध्यम से संस्कारों का बीजारोपण करने वाले महाराज अनिरुद्धाचार्य सही मायने में देश की सेवा कर रहे हैं। ये अबतक सैकड़ों कथाएं कर चुके हैं। इनकी कथाओं में महिला श्रद्धालु बहुत बड़ी संख्या में आती हैं। महाराज अनिरुद्धाचार्य हर तरह का काम अपने हाथ से करने के लिए समय निकालते हैं। ऐसे महान संत हमारे राष्ट्र की दिशा और दशा ठीक करने में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं। महाराज अनिरुद्धाचार्य सच बोलने से पीछे नहीं हटते। ये महिला श्रद्धालुओं में भी बहुत लोकप्रिय हैं।