क़द बढ़ता है काम से। काम होता सोच से। सोच आती है विचारों से। विचार आते हैं संस्कृति से। संस्कृति आती हैं बाप-दादाओं से। जिन्होंने पूरे संसार को संस्कृति के संस्कार दिए। जिन संस्कारों ने सभ्यताओं को जन्म दिया। सभ्यताएं जो मानव के संतुलित विकास का रास्ता बनाती और बताती हैं। हम भारतीय अपनी सोच की धरोहर के लिए जाने जाते रहें हैं। वेदों के समय से यह परम्परा चली आ रही है। ऐसा सोच रहे हैं हम लोग एक व्यक्तित्व के संस्कार और व्यवहार को देखकर। जो आज भी जूझ रहा है हमारे लिए। नन्हेंपन से जूझ रहा है इस दुनिया से। जिसने जीवन की कटुताओं और यथार्थ के बीच रहकर भी अपने अंदर कटुता को नहीं घुसने दिया। इसके उलट जिसने विनम्रता और संघर्ष को संस्कार का हिस्सा बना लिया ताकि वह लोगों के काम आ सके। अपना स्वार्थ-मोह जिसे छूता तक नहीं है और जिसका हृदय असहाय और गरीब के लिए धड़कता है। जो कर्तव्य पथ पर बिना किसी शोर-शराबे के चला जा रहा है। जिसे काम करना पसन्द है, प्रचार करना नहीं। जो सरल है, मृदु है और विपरीत हालातों के लिए कठोर है। यही देश प्रेम है। आप अभी तक समझ गए होंगे कि हम अनिल बलूनी की चर्चा कर रहे हैं।
देखने में यह आ रहा कि छोटी उम्र से काँटो की राह पर चल रहा यह व्यक्ति काम में जुटा रहता है। इस व्यक्ति को श्रेय लेने की तनिक भी आदत नहीं। शायद इसीलिए इस वक्त हम लोग इस व्यक्ति के गुणों का बख़ान कर रहे हैं। देश में आज ऐसे ही व्यक्तियों की आवश्यकता है जो क्षेत्रवाद, जातवाद, कुटम्बवाद और नफरतवाद से ऊपर उठकर देश सेवा करते रहें। हमने राज्य सभा के सांसद तो कई देखे है किन्तु इस व्यक्ति में जो ठहराव है, जो गति है, परिपक्वता है, वह सराहनीय है। इन्होंने उत्तराखण्ड में कैंसर अस्पताल की स्थापना के लिए पूरा जोर लगा रखा है। यह विश्वस्तरीय अस्पताल टाटा इंस्टीट्यूट से मिलकर बनाया जाना है। इसके अलावा दिल्ली से कोटद्वार के लिए नई ट्रेन लगवाने में इनकी भूमिका बताई जाती है। श्री बलूनी कनेक्टिविटी के मामले में भी उत्तराखण्ड में लगातार काम कर रहे हैं। भलाई के काम वे करते रहते हैं। कोविड के आपातकाल में प्राणवायु मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धि में भी इन्होंने दमदार भूमिका निभाई है। उत्तराखण्ड के लोगों में उनको लेकर एक खास तरह का सम्मान महसूस किया जा सकता है। ऐसा नहीं कि आप मुख्यमंत्री बनकर ही राज्य के विकास को सुनिश्चित कर पाएं, आप राज्य सभा के सदस्य की हैसियत से भी प्रदेश के विकास को रफ़्तार दे सकते हैं।
चार सालों से हमें सर्वोच्च स्तर पर उत्तराखण्ड में अनुकूल मौलिकता देखने को नहीं मिल पाई। हालाँकि बीते दो महीनो से एक सुखद हलचल का एहसास अवश्य हो रहा है। शरीर में यौवन की ऊर्जा का होना बहुत जरूरी है। यौवन के साथ-साथ काम के लिए उमंग चाहिए होती है। जो हमारे राज्य के नए कप्तान साहब में कूट-कूट कर भरी है। उनका यकायक देवपुरी अयोध्या जाना बहुत रुचिकर लग रहा है। भगवान राम देश की आत्मा हैं। वे ऊर्जा का स्रोत हैं। उनकी ऊर्जा का एक छोटा सा अंश श्रीमान् धामी को प्राप्त हो जाए तो समझिए चमत्कार हो गया। श्री बलूनी अपने स्तर पर जुटे हैं और वे मौजूदा मुख्यमंत्री के लिए भी कारगर ही साबित होंगे। राष्ट्रीय फलक पर मोदी जी जैसे विराट व्यक्तित्व का लाभ उत्तराखण्ड को हो रहा है। ऑल वैदर रोड के पूरा होते ही राज्य की अर्थव्यवस्था में एक सार्थक भूचाल आने वाला है। यहाँ के लोगों को यह समझना होगा। राज्य की अंतर-राष्ट्रीय सीमा पर हो चुके तमाम पुलों का निर्माण भी राज्य के लिए शगुन है। देहरादून से आपको केवल ढाई घंटे में दिल्ली पहुँचाने वाली प्रस्तावित जादुई सड़क मोदी-गड़करी-बलूनी-निशंक-धामी के पुरुषार्थ से ही संभव हो सकता है। इसलिए धामी सरकार बनी रहे, आगे भी चलती रहे, ताकि उत्तराखण्ड की प्रगति के साथ-साथ देश की प्रगति में भी चार चाँद लग पाएं।
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।
{नरेन्द्रनामा काव्य पुुस्तक के लेखक, प्रकाशन को तैयार}