नई दिल्ली (संवाददाता)। सदियों से चली आ रही तीन तलाक की कुप्रथा का आखिर लोकसभा में विराम लग ही गया। जैसे ही लोकसभा से इस विधेयक बिल के पास होने की सूचना मिली वैसे ही मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गयी। जहां देखो वहीं खुशी का इजहार एक दूसरे को मिठाइयां खिलाकर महिलाएं करने लगी। इस विधेयक में तीन तलाक पर बने कानून को तोड़ने वाले को तीन साल जेल की सजा का प्रावधान है। कुछ महिलाएं इस विधेयक में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि प्रावधान यह भी होना चाहिए कि पीड़िता को शौहर की सम्पत्ति में बराबर का हक मिलना चाहिए साथ हर्जाना भी दिया जाए जिससे आगे की उसकी जिन्दगी सही सलामत गुजर सके। लोकसभा में पेश तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है. इस बिल के खिलाफ सभी संशोधन खारिज हो गए हैं. इस बिल को सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय और लैंगिक समानता दिलाने वाला ऐतिहासिक कदम करार दिया. वहीं, कांग्रेस ने इसमें खामियां बताते हुए इसका दुरुपयोग होने की आशंका जताई और सवाल किया कि महिलाओं के गुजारे-भत्ते का क्या होगा और महिला आरक्षण विधेयक कब पेश किया जाएगा. रविशंकर प्रसाद ने सदन से अपील की कि इस विधेयक को सियासत की आंखों से नहीं देखा जाए, दलों की दीवारों में नहीं बांधा जाए, मजहब के तराजू पर नहीं तोला जाए और वोट बैंक के खाते से नहीं परखा जाए. उन्होंने सभी सदस्यों से सियासी झगड़े छोड़कर विधेयक को पारित कराने का आग्रह किया.