हे भारत भाग्य विधाता राम
खून के आँसू बहाते हम सुबह शाम
पूरे छह सौ साल भोगा बनवास
आततायी बाबर के वशंजो का हो नाश
तोड़ा उसने भगवान आपका आशियाना
इस्लाम ने किया तुझे बेगाना
अंग्रेज राज रहा ईसा का दीवाना
न्याय-अन्याय में रहा वह काना
फिर आया प्रभो अपनों का राज
परायों से बदतर हुआ काज
नतीजा प्रभो सामने है आज
तिरपाल में प्रभो आपका बसेरा
पिछले पच्चीस सालों से रूठा सवेरा
योगी पर टिकी है प्रभो अब आस
होंगे वह परीक्षा में पास
उनके गुरू भी थे प्रभो आपके दास
सुप्रीम कोर्ट को आए अकल काश।
हे तपस्वी त्यागी मनस्वी योगी
हे गुरु गोरखनाथ मन्दिर के जोगी
सत्ता के तमाम पाखंडी भोगी
राम मन्दिर विरोधी तमाम रोगी
पर आप जैसा निष्काम कर्म योगी
श्री हनुमान जैसा साबित होगा महान राम सहयोगी
ताक रहे तेरा मुँह हम दुखी-बियोगी
का चुप साध रहा बलवाना
पुकार रहा तुझे हर राम दीवाना।
Virendra Dev GAUR
Chief-Editor