आठ माह में शहर की सड़कों पर करीब 300 विक्रम कम हो गए, विक्रमों की किल्लत से लोग परेशान
देहरादून। राजधानी की सड़कों पर विक्रमों का संकट खड़ा हो गया है। आठ माह में शहर की सड़कों पर करीब 300 विक्रम कम हो गए हैं। इससे विक्रम का संकट खड़ा हो गया है है। ऐसे में आम लोगों को आवाजाही में समस्या हो रही है। शहर में विक्रम आवाजाही का बेहतर माध्यम हैं। यहां विक्रमों के आठ रूट हैं। इन रूटों पर 794 विक्रम दौड़ते हैं। जिनमें रोजाना हजारों लोग आवाजाही करते हैं। सरकार ने इसी साल 31 मार्च से यूरो-3 विक्रम का रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया था। यूरो-3 रजिस्ट्रेशन बंद होने के बाद सात साल की आयु पूरी कर चुके करीब 300 विक्रम चलने बंद हो गए हैं। इससे शहर के रूटों पर विक्रमों की संख्या 494 रह गई है। यूरो-4 विक्रम दो माह पहले बाजार में आ चुके हैं। चालक इन्हें खरीदना चाहते हैं, लेकिन इनका अभी रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है। जिस कारण विक्रमों का संकट बढ़ता जा रहा है। विक्रमों की किल्लत से लोग परेशान हैं। लोगों को विक्रमों के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी शाम छह बजे के बाद शुरू होती है। एस्लेहॉल चौक से राजपुर के लिए विक्रम नहीं मिल पाते हैं। दर्शनलाल चौक से भी रायुपर और सहस्रधारा रूट के लिए विक्रम नहीं मिल पा रहे हैं। लोग 50 से 150 रुपये देकर अन्य माध्यमों से घर पहुंच रहे हैं। विक्रम कम होने के बाद ई-रिक्शा सड़कों पर उतरे हैं। इससे शहरवासियों को कुछ हद तक राहत मिल रही है, लेकिन ई रिक्शा वाले मनमानी कर रहे हैं। इनके अभी तक ना तो रूट तय और ना ही किराया तय है। जबकि, शहर की सड़कों पर करीब 600 ई रिक्शा दौड़ रहे हैं। एआरटीओ देहरादून अरविंद पांडेय का कहना है कि यूरो-3 विक्रम वाहनों का रजिस्ट्रेशन 31 मार्च से बंद हो गया था। यूरो-4 वाहन अभी बाजार नहीं आया है। वाहन के बाजार में आने के बाद ही रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। महासचिव विक्रम यूनियन राजेंद्र कुमार का कहना है कि यूरो-3 विक्रम रजिस्ट्रेशन बंद होने के बाद आयु सीमा पूरी कर चुके 300 विक्रम खड़े हो चुके हैं। बाजार में दो माह पहले यूरो-4 विक्रम आ चुका है, लेकिन अभी इनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा। हम सोमवार को इस मामले में अपर परिवहन आयुक्त से मिलेंगे।