राहुलगाँधी की ओरंगजेब से तुलना करने वाले नहीं जानते कि उन्होने अंततः बडी गल्ती कर डाली।जिन्होने राहुल गाँधी की बराबरी ओरंगजेब जैसे ईमानपसन्द बादशाह से की।कमअक्ल नहीं जानते कि ओरंगजेब ही अकेला मुगल बादशाह था,जिसका साम्राज्य पूरे हिन्दुस्तान मे दख्खन तक फैला था।यानि राहुल जी एक बार फिर ओरंगजेब की तरह इस विशाल मुल्क का नेतृत्व सम्हालने जा रहे हैं।मैंने पहले भी लिखा कि ब्रिटिश साम्राज्य ने “बाँटो और राज करो” की रणनीति के तहत सुनियोजित तरीके से ओरंगजेब को हिन्दुओं के बीच खलनायक बनाया।वरना उस जमाने में जब छोटी छोटी रियासतों के टटपूंजिये हिन्दु रजवाडे और मुस्लिम नबाब जनता के पैसे पर बडी बडी अय्याशियाँ कर रहे थे,दुनिया के उस सबसे धनी वो मुगल बादशाह(ओरंगजेब)खुद टोपियाँ सिलकर और पाक कुरान की जिल्दसाजी करके जो थोडा बहुत पैसा मिलता,उससे अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रहा था।उसने दरबार में तवायफ नचाने का मुजरा,चौपड और शतरंज जैसे अय्याश प्रदर्शन पर रोक लगायी,जनता का पैसा कभी एक नये गुब्बंद,महल और मकबरे निर्माण पर खर्च नहीं किया।ओरंगजेब ने नियमित हिन्दु मन्दिरों को सदावर्ती धनराशि समय पर भिजवायी।हिन्दु मुसलमानों पर बराबरी के धार्मिक टेक्स लगाये।बल्कि ओरंगजेब की सल्तनत में हिन्दु मुर्दाघाट पर कोई टेक्स नहीं था,जिसे हिन्दु रजवाडे तक अपनी रियासतों में सख्ती से लेते थे।इतिहास में इस बात के स्पष्ट उल्लेख हैं कि ओरंगजेब ने उन मन्दिर और मठों में सेना भेजी,जिनमें सल्तनत के खिलाफ साजिश की रिपोर्ट गुप्तचर देते थे।मैं दूर क्यों जाँऊ,खुद मेरे पडोस के शहर(देहरादून) का गुरू रामराय दरबार(मन्दिर) 17 वी सदी में ओरंगजेब के आदेश पर “भगवान बद्रीनाथ” कहाने वाले तत्कालिन गढवाल नरेश ने बसवाया था।
जयप्रकाश उत्तराखण्डी
(वरिष्ठ इतिहासकार)