भारतीय समाज की कमजोरियों को
कमजोर दर कमजोर करते हुए
विकृतियों को
विकृत करते हुए
लाचारियों का शोषण करते हुए
पनपते गए रजनीति के जमूरे
फलती-फूलती गईं
राजनीतिक कम्पनियाँ।
सत्तर साल
गँवा दिए
चार सौ बीसी में।
अब तो
राजनीतिक चार सौ बीसी
कुप्रथा बनकर
खुद संविधान की गर्दन मरोड़ रही है
गाहे-बगाहे।
नया-नवेला प्रतिनिधि
हार्दिक पटेल देखो कैसा
बाजीगर बना इतरा रहा है।
साफ बोल रहा है
कि वह बन चुका है
राजनीतिक नीच
विंसटन चर्चिल था तो दुष्ट
किन्तु उसकी भविष्यवाणी रंग लाई
भारतीय गड्ढे में ले गए
देश का सामाजिक-राजनीतिक इंजन।
(virendra dev gaur)
chief-editor