देहरादून (ब्यूरो) । बहुचर्चित अनुपमा गुलाठी हत्या कांड में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पंचम) विनोद कुमार की अदालत सॉफ्टवेयर इंजीनियर पति राजेश गुलाठी को दोषी करार दिया है। अभिवक्ताओं से खचाखच भरी अदालत ने न्यायाधीश ने राजेश को हत्या और सबूत मिटाने का दोशी ठहराते हुए सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
देहरादून की प्रसिद्ध अनुपमा गुलाटी हत्याकांड की कहानी
दिल दहला देने वाली यह घटना अक्टूबर २०१० की है। देहरादून के कैंट थाने के गोविन्दगढ़ प्रकाश विहार इलाके में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर द्वारा अपनी पत्नी की हत्या करके उसके शव को फ्रीजर में रखने के मामले ने पूरे उत्तराखंड में सनसनी फैला दी थी। देहरादून पुलिस ने पति राजेश गुलाटी के खिलाफ हत्या और साक्ष्यों को मिटाने संबधी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। गुलाटी को उन दुकानों पर ले जाया गया, जहां से उसने अपनी पत्नी के शव को काटने के लिए आरी और उसे रखने के लिए फ्रीज खरीदा था। दुकानदारों ने राजेश की शिनाख्त की है। बाद में राजेश को मसूरी भी ले जाया गया, जहां उसने कथित रूप से शवों के टुकडों को फेंका था। गुलाटी का अपनी पत्नी अनुपमा के साथ १७ अक्टूबर २०१० को किसी बात पर झगड़ा हो गया था और उसने उसे पीटा, जिसके बाद उसका सिर दीवार से टकरा गया था और वह बेहोश हो गई थी। गुलाटी ने उसके बाद अपनी पत्नी की गला घोंटकर हत्या कर दी उसके बाद उसने शव को ठिकाने लगाने का एक ऐसा उपाय सोचा, जिसको सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। वह अगले दिन आइसक्रीम रखने वाला फ्रीज और लकड़ी काटने की आरी लाया। बताया जाता है कि जब उसके दोनों बच्चे स्कूल चले गए तो उसने आरी से शव के सैकडों टुकडे़ किए और उसे फ्रीज में रख दिया। पुलिस के मुताबिक शव के टुकडे फ्रीज में रखे जाने के बाद उसने बच्चों से कह दिया कि उनकी मां दिल्ली गई है और कुछ दिनों बाद वापस आ जाएगी। इसी बीच अनुपमा के भाई ने अपनी बहन के बारे में जब जानकारी लेनी चाही तो राजेश ने बहाने बनाने शुरू कर दिए जिसके बाद उसके भाई ने घर में खोजबीन करनी शुरू कर दी। इस दौरान उसने फ्रीज देख तो वह चौंक गया, उसमें अनुपमा का सिर और धड़ रखा था। उसके बाद उसने पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जब गुलाटी को अपने कब्जे में लिया तो उसने साफ-साफ सभी बात पुलिस को बता दी। उसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।