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रतूड़ी से उत्तराखंडवासियों को काफी उम्मीदें

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देहरादून (नेशनल  वार्ता ब्यूरो) । उत्तराखंड में तैनात पुलिस महानिदेशक एमए गणपति को मात्र सवा साल की सेवा के बाद ही केन्द्रिय गृह मंत्रालय द्वारा अपर महानिदेशक केन्द्रिय औद्यौगिक सुरक्षा बल के पद पर तैनात किया जा रहा है। डीजीपी एमए गणपति के इस पद पर तैनाती देने के कारण नए उत्तराखंड राज्य में पुलिस महानिदेशक के पद रिक्त हो जाएगा और उस पद पर अनिल कुमार रतुडी की तैनाती के आदेश जारी कर दिए गए है। श्री गणपति की प्रतिभा स्वच्छ और ईमानदार अधिकारियों में होती है और उनके छोटे कार्यकाल में पुलिस विभाग में कई ठोस कार्यो को अंजाम दिया गया है। तैनात होने वाले राज्य में नए पुलिस महानिदेशक की छवि और अनुभव राज्य में काफी अच्छा रहा है और एक अनुभवी अधिकारियों में उनका नाम शामिल है। श्री रतुडी की तैनाती से उत्तराखंडवासियों को न्याय पाने में काफी उम्मीदें हैं। यह उत्तराखंड पुलिस विभाग का सौभाग्य ही माना जा सकता है कि उत्तराखंड के डीजीपी एमए गणपति बिना किसी विवादों के केन्द्र में गौरतलब है कि 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार रतुडी को नए उत्तराखंड राज्य में पुलिस महानिदेशक पद पर तैनाती के आदेश राज्यपाल डा केके पाल की मंजुदी के बाद गृह सचिव विनोद शर्मा द्वारा जारी कर दिए गए हैं हालांकि तैनात डीजीपी एमए गणपति का कार्यकाल अभी शेष है परन्तु डीजीपी श्री गणपति की तैनाती केन्द्रिय औद्यौगिक सुरक्षा बल पर होने जा रही है और इसी को लेकर यह पद रिक्त हो रहा है। बहरहाल, उत्तराखंड पुलिस विभाग में तैनात डीजीपी एमए गणपति की तैनाती से पुर्व उत्तराखंडवासियों में पुलिस विभाग की कार्यक्षमता को लेकर काफी बदलाव की आशा थी और तैनाती से पुर्व डीजीपी साहब ने यह घोषणा भी की गई थी कि पुलिस विभाग में काफी बदलाव किया जाएगा। उनके कार्यकाल में काफी हद तक कानुन व्यवस्था सुचारू रही और उत्तराखंड राज्य में सावन के महिने में कांवड मेले को सुचारू रूप से चलाया जाना, पुलिस के लिए एक चुनौति मानी जाती है परन्तु इस चुनौति को पुलिस मुखिया द्वारा बखुबी निभाया गया और पुरी कांवड यात्रा को सुव्यवस्थित तरीके से कुछ छुटपुट घटनाओं को चलाया जा रहा है। यहां उल्लेख करना आवश्यक होगा कि पुलिस महानिदेशक एमए गणपति 1986 बैच के आईपीएस है और उन्होंने उत्तराखंड में चर्चाओं से घिरे पुर्व डीजीपी बीएस सिद्घु के अवकाश के बाद गत 30 अप्रैल 2016 को डीजीपी का पद ग्रहण किया था । हालांकि उस दौरान डीजीपी के पद पर सबसे ज्यादा दावेदारी 1982 के आईपीएस एस के भगत की थी परन्तु केन्द्र में प्रतिनियुक्ति होने के कारण उन्होने कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया और गत 30 जून को वे सेवानिवृत हो गए हैं । ऐसे में इस पर सबसे प्रबल दावेदारी अनिल रतुडी की मानी गई। जहां तक उत्तराखंड पुलिस विभाग में तैनात होने वाले डीजीपी अनिल रतुडी की योग्यता और अनुभव का सवाल है, वह एकमात्र ऐसे पुलिस के अधिकारी हैं जिनके पास अनुभव और तमाम योग्यता है । इससे पुर्व वे महानिदेशक सतर्कता का कार्य देख रहे हैं और वे मात्र ऐसे अधिकारी हैं जिनके पास पात्रता के लिए 30 वर्ष की अनिवार्य सेवा है और सब अधिकारियों में सीनियर भी है। डीजीपी के पद पर तैनात होने वाले अनिल रतुडी सरल स्वभाव और कार्य के प्रति ईमानदार छवि वाले अधिकारियों में उनका नाम शामिल है। इसके साथ वे ऐसे अधिकारी भी हैं , जिन्होंने समाजिक कार्यो और में भी भाग लिया और अपने विचारों से जनता को अच्छा संदेश भी दिया । मानवाधिकार संरक्षण समिति रजि0 के प्रदेश अध्यक्ष इंद्रजीत शर्मा एवं तमाम पदाधिकारियों को जब यह जानकारी मिली कि महानिदेशक सतर्कता अनिल रतुडी साहब उत्तराखंड पुलिस विभाग के डीजीपी के पद पर तैनात होने जा रहे हैं तो इस पर प्रदेश अध्यक्ष इंद्रजीत शर्मा द्वारा उनके समाजिक योगदान पर जानकारी देते हुए बताया कि मानवाधिकार संरक्षण समिति रजि0 द्वारा आयोजित अन्तर्राष्टृीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर तत्कालीन आईजी के पद पर तैनात अनिल रतुडी को बतौर मुख्यअतिथी निमंत्रित किया गया था और उन्होने इस निमंत्रण को बडी सहजता से स्वीकार ही नहीं किया अपितु समिति के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को काफी उत्साहित करते हुए उनके द्वारा किए गए कार्यो की सराहना भी की थी । इतना ही नहीं उन्होने वहां पर मौजुद कार्यकर्ताओं को पुलिस से पुरी सहायता देने का आश्वासन भी दिया गया था । यह कार्यक्रम दून पैरामेडिकल कालेज में आयोजित किया गया था और उसमें बडी संख्या में लोग मौजुद थे।


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