नईदिल्ली । पाक की ओर से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर आतंकियों की घुसपैठ रोकने के लिए सेना ने अपनी इलेक्ट्रॉनिक निगरानी में काफी सुधार किया है। सीमा पर मौजूदा बाड़ को कई सेंसर के साथ एकीकृत करके हाईब्रिड स्मार्ट बाड़ लगाई जा रही है। इस हाईटेक बाड़ को लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग सेंसर, इंफ्रारेड सेंसर और अन्य कैमरों के साथ जोड़ा जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि स्मार्ट बाड़ के नए हाइब्रिड मॉडल की लागत लगभग 10 लाख रुपये प्रति किमी होगी और इस वर्ष सीमा पर 60 किमी. हाईटेक बाड़ लगाने का कार्य पूरा किया जायेगा। चूंकि इस सेंसरयुक्त हाइब्रिड मॉडल की बाड़ की लागत ज्यादा है, इसलिए 700 किमी. की पूरी एलओसी पर इसके लगाने का अभी फैसला नहीं किया गया है। पहले 2.4 किमी एरिया में हाईटेक बाड़ के लिए लगभग 10 करोड़ का प्रस्ताव दिया गया था। हाल के महीनों में सेना ने नियंत्रण रेखा के करीब सैनिकों को कम-कम दूरी पर तैनात किया है, जिससे इस साल घुसपैठ में गिरावट आई है। इस बार अभी तक पाकिस्तान की तरफ से सिर्फ 30 आतंकियों ने घुसपैठ की है जबकि पिछले साल इस समय तक 130 आतंकी सीमा पार से आ चुके थे।
सूत्रों का कहना है कि एलओसी पर एंटी-इंफि़ल्ट्रेशन ग्रिड को कई स्तरों पर मजबूत किया गया है। निगरानी के लिए सैनिकों को बड़े और छोटे दोनों तरह के ड्रोन दिए गए हैं। लगभग 700 किमी. की सीमा पर लगी मौजूदा बाड़ को एंटी-इंट्रस्ट्रेशन ऑब्सट्रेल सिस्टम कहा जाता है। कंसर्टिना तार से बनी दोहरी पंक्ति वाली यह बाड़ 2003 और 2005 के बीच लगाई गई थी। इन 15-17 साल के बीच बर्फबारी के कारण हर साल इसकी गुणवत्ता में गिरावट आती गई। इसीलिए सेना ने पाकिस्तान की सीमा को मजबूत करने के इरादे से विभिन्न सेंसर के साथ एक स्मार्ट बाड़ लगाने की योजना बनाई और यह पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया।
सूत्र बताते हैं कि तंगधार क्षेत्र में 10-15 फीट तक बर्फबारी होती है, जिससे कुछ स्थानों पर पूरी मौजूदा लोहे की बाड़ या तो पूरी तरह दब जाती है या टूट जाती है। बर्फ गिरने का मौसम खत्म होने के बाद हर साल मार्च से जून तक चार महीनों में 60-70त्न बाड़ की मरम्मत करानी पड़ती है। सेना के लिए हर साल यह एक अतिरिक्त कार्य होता है। यह पुरानी बाड़ लगभग 740 किलोमीटर लंबे एलओसी के अधिकांश हिस्से में मौजूद है। बर्फबारी के कारण सबसे कम पीरपंजाल के दक्षिण में और सबसे ज्यादा उत्तरी कश्मीर में बाड़ को नुकसान पहुंचता है। बाड़ के अलावा सेना ने दिन और रात दोनों के दौरान लोगों और छोटे वाहनों का पता लगाने के लिए लंबी दूरी की निगरानी प्रणाली तैनात की है।
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