राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ऊंचाई पर स्थित नैनीताल चिडियाघर में करीब 260 पेड़ अवैध तरीके से गिराने का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार को एक नोटिस जारी किया और 25 मई से पहले इसका जवाब मांगा। यह आदेश एनजीओ फ्रेंड्स द्वारा दायर एक याचिका पर आया जिसके जरिए ‘भारत रत्न पंडित गोविन्द वल्लभ पंत हाई एल्टीट्यूड जू ‘ में पेड़ों को कथित तौर पर अवैध रूप से गिराने की जांच की मांग की गई है। इसने कहा कि पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र की वर्षा पद्धति को कायम रखने के लिए पेड़ पौधे जरूरी हैं। याचिका में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा लागू किए गए प्रतिबंध के बावजूद राज्य वन विभाग ने अवैध रूप से 260 पेड़ काट डाले। न्यायालय ने 1,000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित पेड़ गिराने पर प्रतिबंध लगाया है। मीडिया में आई एक खबर का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि अंधाधुंध तरीके से पेड़ गिराए जाने के चलते नैनीताल झील में जल स्तर कम हो गया है क्योंकि बांज जैसे पेड़ भूजल को बनाए रखने में मदद करते हैं। अधिवक्ता सुग्रीव दूबे के मार्फत दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि हालांकि नैनीताल के जिलाधीश ने घटना की जांच का आदेश दिया है लेकिन वन विभाग तहसीलदार से सहयोग नहीं कर रहे हैं जिन्हें जांच की जिम्मेदारी दी गई है। याचिका में दावा किया गया है कि नैनीताल में पेड़ काटने या उनकी शाखाओं की छंटाई करने के लिए स्थानीय वन अधिकारियों की मंजूरी लेने की भी जरूरत होती है। एनजीओ ने पेड़ों को काटने के जिम्मेदार लोगों को उपयुक्त सजा देने की भी मांग की है क्योंकि उन्होंने शीर्ष न्यायालय के आदेश के खिलाफ कार्य किया है।