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रामधारी सिंह दिनकर की रचनायें क्रान्ति का आगाज और कोमलता के श्रंगार से युक्त- स्वामी चिदानन्द सरस्वती

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-जन्मदिवस युग के व आधुनिक युग के वीर रस के कवि रामधारी सिंह दिनकर

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देहरादून/ऋषिकेश (दीपक राणा)।  पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी के जन्म दिवस के अवसर पर उन्हें याद करते हुये कहा कि आधुनिक युग में भारत में दिनकर जी के रूप में एक ऐसे कवि हुये जिन्होंने हिन्दी साहित्य को एक नयी पहचान दी। दिनकर जी का साहित्य राष्ट्रीय जागरण व राष्ट्रचेतना का सजीव दस्तावेज है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि दिनकर जी ने अपनी कविताओं के माध्यम से देशभक्ति के रस को जनमानस में बांटने का कार्य किया है। उनकी कविताओं में क्रान्ति और कोमलता के साथ विद्रोह और विप्लव के स्वर भी मौजूद थे। उन्होंने कविताओं के माध्यम से जनमानस में उत्साह और राष्ट्रचेतना का संचार किया जिसके कारण उस समय होने वाले राष्ट्रीय आन्दोलनों को गति मिली। दिनकर जी ने राष्ट्रीय जागरण व राष्ट्रीय गौरव की भावनाओं को जगाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि राष्ट्रीय आन्दोलनों के समय दिनकर जी और हमारे देश के अन्य कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से जनमानस के हृदय में देशभक्ति की जो धारा प्रवाहित की थी उससे देश में एक राष्ट्रीय क्रान्ति का सूत्रपात हुआ जिसका परिणाम ही यह है कि आज हम स्वतंत्र भारत के निवासी हैं। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि हमें वर्तमान समय में एक ऐसी क्रान्ति करने की जरूरत है जो जनमानस को पर्यावरण संरक्षण के लिये जागृत करे। सभी को मिलकर एक ऐसी क्रान्ति करना है जो जनमानस के विचारों को झकझोर दें; जो लोगों को हरित क्रान्ति की ओर बढ़ने की प्रेरणा दें और पर्यावरण मित्र बनकर जीवन जीने हेतु मार्गदर्शन प्रदान करें।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व पर्यावरण प्रदूषण की समस्याओं का सामना कर रहा है और इसके समाधान के लिये प्रत्येक व्यक्ति को जागृत होना होगा। उन्होनें कहा कि कुछ पर्यावरण विरोधी तत्व जो हमारे विचार, व्यवहार और आचरण में समाहित है उसका समूल नष्ट करना होगा।
पूज्य स्वामी जी ने कहा भारतीय दर्शन और हिन्दी साहित्य उत्कृष्ट और अद्भुत है। उसमें हमारे मूल, मूल्य, इतिहास और शौर्य की अनेक गाथायें समाहित है परन्तु इसकी उपयोगिता तभी तक है जब हमारी आने वाली पीढ़ियां हिन्दी को जानें, समझें और उससे जुड़ना सीखे। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि आगे आने वाली पीढ़ियों को हिन्दी से जोेड़ें। बच्चे हिन्दी से जुड़ेंगे तो ही अपने जड़ों से जुड़ सकते है।

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