डोली धरती डोला अम्बर जय सियाराम विश्वम्भर
डोली सरयू
डोली अयोध्या
झूमी अवध की भूमि रे
संत मंडली के संग नरेन्द्र मोदी और योगी की जोड़ी
दिख रही ऐसी जैसे राम-लखन की जोड़ी रे
भरत और शत्रुघ्न गए हों ननिहाल अपने
त्रेता युग वाली झलकियाँ दिख रहीं ऐसी
तैर रहा मन अतीत में
झाँक रहा मन भविष्य में
वर्तमान में लगता है मन, राम-राम धुन जपने रे
भाग जाग गए अब अपने रे
ऐसा भी लग रहा कभी-कभी
जैसे हम सब देख रहे हों सपने रे
युगों-युगों के बाद देवपुरी अयोध्या में
सजी ऐसी मनोरम झाँकी रे
वेद-वाक्यों की कर्ण-प्रिय स्वर-लहरी में
माँ सरयू की तरंगों की ध्वनि घोल रही है मिश्री रे
उमंग और तरंग में मन-मयूर नाच रहा पगलाया
भूमि-पूजन का पावन अवसर कैसा सावन-भादों लाया
देश-विदेश में राम-भक्तों को भक्ति-भाव में सर से पाँवों तक नहलाया।
डोली सरयू
डोली अयोध्या
झूमी अवध की भूमि रे
डगर-डगर और नगर-नगर में
राम-राम की बोली रे
भर लो भक्ति भाव से अपनी-अपनी झोली रे
हो राजभवन या किसी गरीब की खोली रे
राम सबके हैं सब खेेलो मिलकर खुशियों की होली रे
पग-पग दीप जलाओ और मन-पसन्द सजाओ रंगोली रे
भूमि पूजन की शुभ बेला में
बरसाओं पुष्पों की भर-भर अंजलि करो हँसी ठिठोली रे
जगत-प्रसिद्ध राम-धाम का हो रहा उदय अनन्त-सवेरा रे
घर-घर होगा भविष्य में राम राज का डेरा रे।
जय श्री राम का जयकारा
ओउम्-ओउम् का ओंकारा
अपने आप में मंत्र है न्यारा
पूरा का पूरा उजियारा
जगत-कल्याण का जादू प्यारा
मानव के उत्थान का सनातन सहारा
श्री राम-धाम हो दिव्य-अलौकिक चैतन्य-सितारा।
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।