रंजन गोगोई बने हनुमान क्या होंगे वह पाँच को मेहमान
अभी तो हैं त्योहार और तीज
पाँच अगस्त को बोया जाएगा फिर से
सनातन-संस्कृति के विराट-मन का बीज
अंकुर जो फूटेगा उससे निकलेगा वृक्ष छतनार
जीवन के ताप से पाएंगे ठंडक जाकर नीचे इसके नर-नार
जीत की जागेगी इच्छा जो जाएंगे जग से हार
पाकर भक्त-वत्सल का संजीवनी-बूटी जैसा प्यार
प्रजा-वत्सल राजा राम कहे गए अवतार
संसार की भलाई के लिए रहा उनका जीवन-सार
संसार को परिवार मानकर गिए कर्म अपार
सुख त्याग कर दुख अपनाए स्वार्थ किए दरकिनार
आतंकवादी रावण का वध करने गए सिन्धु के पार
धरती हथियाने नहीं बहाने मानवता की धार
सिखा गए हमको पाप का करो दूर अन्धकार
भेदभाव को मिटा-मिटा कर करो सबका उद्धार
सबका साथ सबका विश्वास से होगा बेड़ा पार
यह नीति रघुवंश-मणि की रही सनातन नदिया की धार
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण तब के विशाल भारत के आर-पार
घूमे पग-पग रघुपति-राघव धीर-वीर अपार
भारतीयता की अलख जगाई बने सबसे महान आर्य सूत्रधार
ऋषि-मुनियों की चिंतन-परम्परा को दिया मजबूत आधार
उग्रवाद और पिशाचवाद का किया जड़ से संहार
जग ने प्रसन्न होकर पहनाया भगवान विष्णु का त्रिलोकी हार
समझकर बाबर ने राम की महिमा को अपरम्पार
सेनापति मीर बाकी को श्री आयोध्या भेजकर मचाया हाहाकार
गिराया श्री राम का मन्दिर उठायी उसके ऊपर मस्जिद की दर-दीवार
भारत के स्वाभिमान पर पाने को पार
राजाओं ने भारत के एक-एक का मान ली थी हार
श्री राम के नाम का जादू पर जनमानस में बना रहा असरदार
हालाँकि स्वार्थी भारतीय राजाओं की नइया फँस गई मँझधार
एकता के धागों का इस तरह होना तार-तार
बाबर को रास आया वह हुआ सर पर सवार
सन दो हजार बीस के पाँच माह हैं बे-करार
इस अवधि का महत्व है हमारे देश के लिए बेशुमार
दुनिया भर में आएगा बदलाव का भूचाल दमदार
श्री राम के धीरज और शौर्य का झलकेगा प्रताप-प्रसार
अभी तो हैं त्योहार और तीज
साल के अन्त तक रहेगी उत्सवों की भरमार
किन्तु इन महीनों की गूँज रहेगी सदियों-सदियों के भी पार
जानेगा जग श्री राम के प्रभुत्व की महिमा मानेगा उपकार
राक्षसी-आतंकियों पर पड़ेगी वज्र-शक्ति की तगड़ी मार
जय-जय जानकी-बल्लभ महाबली हनुमत की सरकार।
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।