दिल हर आहट पर धड़कता है…।चेहरे एक छोटी सी उम्मीद देखते ही खुशी से भर जाते, लेकिन कुछ समय बाद मायूसी छा जाती। सवेरा हर दिन एक उम्मीद लेकर आता था, लेकिन शाम होते-होते उम्मीद टूट जाती थी। आज इस सिलसिले को चौबीस दिन हो गए हैं।
उत्तरकाशी की सुरंग में बंद ४१ कर्मचारी अपनी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं। सुरंग में हल्की सी भी हलचल होती तो उन्हें लगता था कि वे बाहर निकल जाएंगे, लेकिन उनका भ्रम तुरंत टूट जाता। 41 कर्मचारी जो सुरंग में फंसे हुए हैं, बाहर निकलने के लिए उत्सुक हैं, वहीं उनके परिजनों को भी खुशी मिलेगी।
दिवाली के दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन हुआ। रात की शिफ्ट में सुरंग में काम करने वाले कर्मचारी दो घंटे बाद बाहर आने वाले थे. लेकिन साढ़े पांच बजे भारी भूस्खलन हुआ, जिससे ४१ कर्मचारी सुरंग में फंस गए।
रेस्क्यू ऑपरेशन उसी दिन से चल रहा है, लेकिन NHIDC और जिला प्रशासन के अधिकारी कर्मचारियों को कब तक छुट्टी मिलेगी इस बारे में कुछ नहीं कहते। कर्मचारियों को बाहर 14 दिन हो गए हैं। सुरंग के भीतर बृहस्पतिवार की देर रात और शुक्रवार की अलसुबह एक खबर ने उत्साह और
पाइप और लोहे के गर्डर को गैस कटर से काटा जा रहा था, जिससे सुरंग के भीतर फंसे 41 कर्मचारियों तक धुआं निकला। मजदूरों को गैस कटर के धुएं की सुगंध आते ही उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था।
ज्यादा दूरी पर धुएं की गंध मलबे को चीरकर आगे नहीं बढ़ती, इसलिए उन्हें लगता था कि पाइप उनके करीब आ गया है। बचाव दल के अधिकारियों ने बताया कि धुएं की खुशबू ने मंजिल को अब बहुत दूर नहीं देखा है। इससे खुद कैद मजदूर भी उत्साहित हो गए हैं।
सुरंग निर्माण कंपनी में काम कर रहे हेमंत नायक, कुंवर बहादुर, जगन्नाथ और आदित्य बताते हैं कि छठ पर्व का उत्साह कैसा होगा जब उनके साथी अंदर फंसे हैं। उन्हें अपने सभी साथियों को जल्द से जल्द बाहर निकालने की प्रार्थना हुई।
अमेरिकी ऑगर मशीन शुक्रवार शाम 24 घंटे बाद सुरंग में फंसे 41 कर्मचारियों को निकालने के लिए चली, लेकिन लोहे का अवरोध आने से रुक गई। जिससे कर्मचारियों के बाहर निकलने का इंतजार बढ़ गया।
अब तक, मलबे में सिर्फ 47 मीटर पाइप पहुंचा है। अधिकारियों के अनुसार अभी लगभग 9 मीटर की दूरी बाकी है।