ऑपरेशन सिलक्यारा की सफलता में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने बंगलूरू से दो अत्याधुनिक ड्रोन मांगे, जो सुरंग के भीतर मलबे में मार्गदर्शन करते हैं।
छह टनलिंग-माइनिंग विशेषज्ञ इंजीनियरों की बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा की टीम ने सुरंग में पहुंचकर आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से भीतर के हालात बताए, जिससे अभियान को अंजाम तक पहुंचाने में काफी मदद मिली। मलबे के भीतर ड्रिल में आ रही दुश्वारियों के बीच बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा एंड माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने बीआरओ के डीडीजी ब्रिगेडियर विशाल वर्मा की मदद ली।
बचाव बलों को मलबे में अड़चनों की सूचना दी
कंपनी ने छह माइनिंग इंजीनियर, ड्रोन पायलट और जियोटेक्निकल एक्सपर्ट को अपने दो नवीनतम ड्रोन भेजे हैं। कंपनी के अधिकारी प्रभात ने बताया कि बचाव दल ने सुरंग के भीतर राडार सेंसर और जियोफिजिकल सेंसर लगे ड्रोन की मदद से मलबे में अड़चनों की सूचना दी है। बताया गया है कि ये ड्रोन पूरी तरह से मलबे के भीतर स्कैनिंग कर सकते हैं।
इस तरह ड्रोन काम करता है
10 मीटर पहले रुकी ड्रिल के दौरान एक सरिये को स्क्वाड्रन ने बचाव दलों को बताया। ये ड्रोन सिमुलटेनियस लोकेलाइजेशन और मैपिंग (स्लैम) और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर काम करते हैं। यह तकनीक केवल अंडरग्राउंड और जियोटेक्निकल एप्लीकेशन में लागू होती है। भारतीय वायुसेना की मदद से इससे जुड़े उपकरण सिलक्यारा भेजे गए हैं।
रुड़की से वैज्ञानिकों की टीम ने वाइब्रेशन की जांच की
सिलक्यारा सुरंग में लगातार चल रही अमेरिकी ऑगर मशीन की वाइब्रेशन एक खतरा बन गई। NHDCL ने इसके लिए बृहस्पतिवार को विशेषज्ञों की एक टीम को रुड़की से बुला लिया। टीम ने हर घंटे सुरंग के भीतर की वाइब्रेशन रिपोर्ट बचाव दलों को दी।