रविवार को झारखंड में अखिल भारतीय जनजातीय सम्मेलन, “संवाद” का समापन हुआ। पांच दिनों के कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी संस्कृति को बचाना और प्रोत्साहित करना था। आयोजकों ने बताया कि शोध को फेलोशिप के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए सम्मेलन में दस लोग चुने गए हैं। सम्मेलन जमशेदपुर के गोपाल मैदान में हुआ था, जिसमें 30,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे।
जनजातियों से परिवर्तन लाने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने का प्रयास
टाटा स्टील ने एक बयान में कहा कि संवाद फेलोशिप एक पहल है जो भारत की विभिन्न जनजातियों से परिवर्तन लाने वालों को प्रेरित करती है। इसका उद्देश्य आदिवासी संस्कृति का संरक्षण और प्रोत्साहन करना है। जानकारी के अनुसार, फेलोशिप के लिए चयनित लोगों में रिडीमसन एस. पाकवा भी शामिल हैं, जो मेघालय की खासी जनजाति का सदस्य है। पाकवा पनार समुदाय के का-चाड कुत्सनेम संगीत पर शोध-आधारित अध्ययन होगा। फेलोशिप में गोंड जनजाति के मध्यप्रदेश के माधवी उइके मेरावी भी शामिल हैं।
कम्पनी ने कहा कि लोक कलाकार साका मशांगवा मणिपुर की तांगखुल जनजाति का पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र टिंगटेइला को रिकार्ड करना चाहते हैं, जो अब खत्म हो चुका है। वहीं, महाराष्ट्र के संतोष पावरा चाहते हैं कि भील समुदाय के लोकगीतों को बचाया जाए।