सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव गौड़) एम.एस चौहान
मध्य प्रदेश के छतरपुर क्षेत्र में श्रीराम और श्री हनुमान की धूम मची है। धूम मचाने वाले हैं श्रीमान् धीरेन्द्र शास्त्री जिनकी आयु अभी केवल 26 साल है। छतरपुर के गढ़ाकोटा गाँव में बाला जी की कृपा बरस रही है। यहाँ बाला जी धाम में साक्षात हनुमान जी विराजमान हैं। इस धाम में श्रीराम का नाम लेकर काम प्रारम्भ होता है और श्रीराम से ही काम का समापन होता है। इस सिद्ध धाम को दूसरी अयोध्या कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस धाम के पीठाधीश्वर पं0 धीरेन्द्र शास्त्री हनुमान जी की विशेष कृपा से अपनी पीठ पर विराजमान होकर पहले ही भाँप लेते हैं कि कौन व्यक्ति किस नाम से और किस समस्या को लेकर आया है। कई पत्रकारों ने इस सत्यता की छानबीन पर काम किया और वे सभी अंत में थक हार कर यही कहते आए हैं कि इस धाम पर कुछ तो है। धीरेन्द्र शास्त्री जी इस ‘‘कुछ तो ’’ को हनुमान जी कृपा बताते हैं। वे पीड़ित व्यक्ति को नाम लेकर बुला लेते हैं। वे यह भी बता देते हैं कि कौन सा भक्त पण्डाल में किस जगह पर बैठा है और उसके कपड़ों का रंग कैसा है। धीरेन्द्र शास्त्री जी के पास अपनी समस्या के समाधान के लिए यूरोप से लेकर इन्डोनेशिया तक से लोग आने लगे हैं। एक मुस्लिम महिला इन्डोनेशिया से अपनी समस्या के समाधान के लिए आई थी। उन्होंने उसे जब सत्य से अवगत कराया तो उस महिला के होश उड़ गए। इनकी खासियत यह है कि अगर कोई आड़ी तिरछी सोच का व्यक्ति दरबार में इनके सामने आ जाता है तो ये उसकी पोल खोलने में भी देर नहीं लगाते। जब एक श्रद्धालु की अर्जी लगी तो इन्होंने आवेश में आकर फटकार दिया। उसने कहा कि वह लड़कीबाजी से बाज आ जाए। उस व्यक्ति ने स्वीकार किया कि उसमें यह कमी है। अब बताइये क्या कोई ऐसा व्यक्ति जो घर परिवार वाला हो भरे पण्डाल में साक्षात दरबार में ऐसा स्वीकार कर सकता है। धीरेन्द्र शास्त्री जी स्पष्ट कहते हैं कि यदि कोई खुरापाती खुरापात से बाज नहीं आता तो वह मजबूरी में उसकी पोल खोलते हैं। एक राष्ट्रीय चैनल न्यूज 24 का प्रतिनिधि पत्रकारों को उकसा रहा था कि यह आदमी नाटक कर रहा है। धीरेन्द्र शास्त्री ने उसके भाव पढ़ लिए और उसे तत्काल अपने पास बुलाया। उसे कहा कि तुम इस समय पत्रकारों को यह कह रहे हो कि मैं झूठा हूँ। उस पत्रकार ने स्वीकार किया कि वह ऐसा ही कर रहा था। फिर धीरेन्द्र शास्त्री ने उससे कहा कि क्या अब मैं तुम्हारी पोल खोलूँ। केवल दो पोल खोलूँगा। पत्रकार सकपका गया और नतमस्तक हो गया। धीरेन्द्र शास्त्री के अनुसार यह कोई चमत्कार नहीं है। बाला जी यानी हनुमान जी की कृपा से यह सब संभव हो जाता है। वे इसके पीछे का इतिहास भी बताते हैं। उनके दर्शन करने वालों की भीड़ इतनी अधिक होती है कि इतनी भीड़ को संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है। भारत के बड़े-बड़े धर्मशास्त्री और कथावाचक उनके सामने नतमस्तक हो चुके हैं। धीरेन्द्र शास्त्री कथावाचन भी करते हैं। वे लंदन में भी रामनाम की धूम मचाकर आ चुके हैं। उनके मुँह से पहला शब्द राम ही निकलता है। सीताराम–सीताराम– सीताराम जपने वाला यह व्यक्ति एक बार अपनी पीठ पर विराजमान होकर कथा सुना रहा था। तभी इनके मस्तिष्क में एक चित्र उभरा। उन्होंने देखा कि एक बुजुर्ग तीन दिन से बिना कुछ खाए पिए पैदल बागेश्वर बाला धाम की ओर आ रहा है। वह यह भी समझ गए कि उस बुजुर्ग ने ठान रखा है कि वह धीरेन्द्र शास्त्री के चरणों में नतमस्तक होकर ही चैन लेगा। धीरेन्द्र शास्त्री तुरंत उठे और अपनी कार में सवार होकर उस श्रद्धालु की ओर निकल पड़े। कुछ पत्रकार भी पीछे-पीछे चल दिए। जब वह व्यक्ति बाला जी बागेश्वर धाम यानी गढ़ाकोटा गाँव से पाँच किमी की दूरी पर था तभी धीरेन्द्र शास्त्री ने उसे रोक दिया। उसके साथ सड़क के किनारे बैठ गए और उसकी परीक्षा लेने लगे। उस श्रद्धालु से बोले ‘‘ तुम जिससे मिलने जा रहे हो वह तो धोखेबाज है। वह कुछ नहीं है। वह ढोंगी है। मैं तुम्हें एक बहुत अच्छे सिद्ध महात्मा का पता बताता हूँ।’’ दीनहीन दशा वाले तीन दिन से भूखे उस बुजुर्ग ने जवाब दिया ‘‘ कोई बात नहीं हमें तो बस उनके चरण छूने हैं। हम यह करके रहेंगे।’’ इसके बाद धीरेन्द्र शास्त्री ने बगल से गुजर रहे आइस्क्रीम वाले से आइस्क्रीम लेकर उसे खिलाई। उसे खिलाने के बाद खुद भी खाई। इस तरह का यह अनोखा सिद्ध पुरूष स्वयं को नालायक कहता है। इनका कहना है कि पीठ पर बैठ कर ये लाचारों की जो भी सेवा कर पाते हैं वह राम जी की और हनुमान जी की कृपा है। इसमें दो मत नहीं कि पूरे देश में बागेश्वर बाला जी की धूम मची हुई है। इनका स्पष्ट कहना है कि इनका एक ही उद्देश्य है – सनातन धर्म के गौरव को स्थापित करना। श्रीराम के अनन्य भक्त श्री हनुमान की शक्ति का लोगों को एहसास कराना। लोगों को यह सिद्ध करके बताना कि भगवान होते हैं लेकिन उनका आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालु का सरल और निष्छल होना बहुत जरूरी है। वही भक्त राम की कृपा पा सकता है जो सरल हो जाए। यह भी स्पष्ट कर दें कि उन्हें बदनाम करने के लिए तमाम शक्तियाँ काम पर लग गई हैं। किन्तु बागेश्वर बाला धाम के इस पुजारी की ऐसे लोगों को स्पष्ट चुनौती है कि वे जो कर सकते हैं करें। पं0 धीरेन्द्र शास्त्री आवेश में आकर कहते हैं कि राम उनके बाप हैं और जो राम का नहीं वह किसी काम का नहीं। पं0 धीरेन्द्र शास्त्री ऐसे इलाकों में भी अपनी उपस्थित दर्ज करा रहे हैं जो आदिवासी इलाके कहलाते हैं। इनके कार्यक्रम औरों से हट कर होते हैं। कुल मिला कर बागेश्वर बाला जी धाम दूसरी अयोध्या के रूप में उभर रहा है।
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