-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
अमित शाह ने देर से ही सही किन्तु पीएफआई पर पाँच साल के लिए बैन लगा दिया है। पीएफआई ने बिहार में प्रधानमंत्री की रैली में धमाका करने की योजना बनाई थी। हालाँकि, इस षड़यंत्र का पर्दाफास हो गया था। प्रधानमंत्री की रैली में अफरा तफरी मच सकती थी। प्रधानमंत्री पर खतरा मंडरा रहा था लेकिन वह टल गया था। लगभग दो महीने पहले बिहार से पीएफआई के काले कारनामों का भी पता लगा था। कुछ लोग गिरफ्तार भी हुए थे। पीएफआई के दस्तावेजों से पता लगा था कि पीएफआई 2047 तक भारत में इस्लामिक राज्य की स्थापना करना चाहती है। यहीं से एनआईए ने अपनी खोजबीन तेज कर दी थी। पूरी छानबीन के बाद ही एनआईए ने देश के कई राज्यों में पीएफआई के दफ्तरों पर छापे मारे। 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया और अब पुख्ता दस्तावेजों के आधार पर पीएफआई पर पाँच सालों के लिए बैन लगा दिया। लेकिन सरकार को यह भी देखना होगा कि कहीं ये ही लोग नाम बदल कर अपना धंधा फिर शुरू ना कर दें। क्योंकि पीएफआई पहले सिम्मी के नाम से देश विरोधी काम करता था। अब यह पीएफआई के नाम से देश विरोधी काम कर रहा था। आने वाले दिनों में ये लोग फिर नाम बदल लेंगे और देश विरोधी काम जारी रखेंगे। देश में तमाम, बम विस्फोटों में पीएफआई का नाम सामने आया था। शाहीन बाग में सड़क पर बैठे लोग आंदोलन के नाम पर पीएफआई के इशारों पर काम कर रहे थे। पीएफआई बम विस्फोटों के साथ-साथ हर वह काम करता है जो देश को कमजोर करे। पीएफआई पर बैन लगना एक सुखद संकेत है लेकिन इन देश विरोधी लोगों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के बारे में गंभीरता से सोचना पड़ेगा।