-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
आज भारत में योग की इन्द्रधनुषी छटा देखने को मिल रही है। जहाँ एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी मैसूर के राजा के किले के अहाते में योगमय दिख रहे हैं वहीं दूसरी ओर ऋषिकेश और हरिद्वार में योग की सतरंगी छटा बिखरी हुई है। पूरा देश योग के रंग में नहाया हुआ है। इसे योग की होली भी कहा जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी योग को विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलाने में लगे हैं। वे योग को महत्व देकर भारतीयता को महत्व देते आए हैं। योग और भारतीयता एक सिक्के के दो पहलू हैं। हमारे ऋषि मुनि योग और हवन के दम पर लम्बा जीवन जी लिया करते थे। वे अपनी मर्जी से शरीर का त्याग करते थे। उन्हें अपनी साँसों तक पर पूरा नियंत्रण रहता था। वे योग करते थे और संसार के कल्याण के लिए चिन्तन में लगे रहते थे। इसलिए योग भारत के उत्थान के लिए परम आवश्यक है। संसार को भी योग भोगवाद से बाहर निकाल सकता है। योग, भोग और संयम के बीच संतुलन बनाने का माध्यम भी है। बाबा रामदेव भी पूरे उत्साह के साथ अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। वे तो नित्य प्रति योग में लीन रहते हैं। उनकी तो सुबह ही योग से शुरू होती है। ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद सरस्वती भी उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को साथ लेकर योग मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं। गंगा के किनारे समाधि में विराजमान भोले बाबा की पावन छाँव में स्वामी जी, पुष्कर सिंह धामी और कई अनुयाइयों के साथ योग में तल्लीन हैं। देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों से खबरे आ रही हैं कि लोग योग में लीन हैं। योग की यह बहार वर्ष भर चलनी चाहिए। भारत में तो घर-घर में योग का संगीत व्याप्त रहना चाहिए। योग हमारे देश के नौनिहालों और नौजवानों के साथ-साथ बुजुर्गाें को जीवन के हर मोड़ पर तरोताजा रख सकता है। योग को जीवन का अंग बनाना बहुत जरूरी है। भारत योग की गंगोत्री है। यहाँ चप्पे-चप्पे पर योग के केंद्र होने चाहिएं। पर्यटन और धर्माटन स्थलों पर भी योग की सुचारू व्यवस्था की जानी चाहिए।