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वीरांगना कंगना रनौत

-वीरेन्द्र देव गौड़, पत्रकार, देहरादून

-नेशनल वार्ता ब्यूरो-

कंगना रनौत ने यह कह कर कि भारत है अफगानिस्तान नहीं। यहाँ सबको अपनी बात रखने का अधिकार है। पराक्रम किया है। कंगना का यह पराक्रम स्तुति योग्य है। ऐसे में जब सबने नूपुर शर्मा का साथ छोड़ दिया। सब डर गए। कंगना का यह बयान कंगना की निडरता का प्रमाण है। कंगना एक महिला होकर इतना साहस रखती है। जबकि दुनिया के कथित सबसे बड़े राजनीतिक दल ने अपनी एक महिला नेत्री को मझधार में छोड़ दिया। यह संसार का कथित सबसे बड़ा राजनीतिक दल भी दुष्टिकरण की राह पर निकल पड़ा है। भारत के देशभक्त हिन्दू इस दल का सम्मान करते रहेे हैं। इसलिए नहीं कि यह दल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का साथी है। बल्कि इसलिए, क्योंकि यह दल दुष्टिकरण का विरोधी रहा है। घुमा फिराकर यह दल भी आ ही गया दुष्टिकरण की राह पर। अब इस दल के पास दूसरे दलों को कोसने का नैतिक अधिकार नहीं रहा। अब यह दल दूसरे दलों को दुष्टिकरण करने वाला नहीं कह सकता। यह दुनिया का कथित सबसे बड़ा दल सबसे बड़ी परीक्षा में फेल हो गया। इसका नतीजा यह होगा कि पराक्रमी स्वभाव के हिन्दू इस दल से दूर हो जाएंगे। ऐसा होना ही चाहिए। यह दुष्टिकरण की शुरूआत है। यही दुष्टिकरण तो भारत के अन्य राजनीतिक दल करते आ रहे हैं। इस दल को शांत रह कर पूरी हिम्मत के साथ कूटनीतिक तरीके से हालातों का सामना करना था। लेकिन इस दल ने तमाम ज्ञात-अज्ञात कारणों से हालातों के आगे घुटने टेक दिए। अब इस दल को अपनी यह इमेज बदलने में कई साल लग जाएंगे। लेकिन दाग तो लग गया। जो आसानी से धुलने वाला नहीं। इस दल को धीरे-धीरे अपनी इस भूल का अहसास हो जाएगा। इस दल को कंगना वाला पराक्रम दिखाना था। जिहादी मुल्कों के आगे नहीं झुकना था। किसी भी कीमत पर नहीं झुकना था। अब दुनियाभर के जिहादी इस कथित सबसे दल की कमजोर नस जान चुके हैं। अब इस कमजोर नस को देश-विदेश के जिहादी जब चाहें तब दबाते रहेंगे। यही नहीं बल्कि भारत के न्यायालयों के निर्णय भी बुरी तरह से प्रभावित होते रहेंगे। बहुत गलत हुआ। नूपुर शर्मा से अपने आराध्यों का अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ। नूपुर शर्मा को क्षमा याचना नहीं करनी चाहिए थी। हिन्दू अगर मरने से डरेगा तो देश नहीं बचेगा। हमें भारत माता की सेवा के लिए हर पल मरने के लिए तत्पर रहना पड़ेगा। आने वाली पीढ़ियों का सवाल है। बहरहाल, कंगना रनौत कमाल है। सचमुच, यह नारी बेमिसाल है। इस नारी का सम्मान किया जाना चाहिए। स्वयं तमाम समस्याओं से घिरी होने के बावजूद कंगना ने सच का पक्ष लिया। देश को इस नारी पर गर्व महसूस करना चाहिए। ऐसे में जब मुम्बई की फिल्म इंडीस्ट्री भारतीयता से लगातार वंचित होती जा रही है। कंगना का पराक्रम सराहनीय है। हिन्दू को कंगना से शिक्षा लेनी चाहिए। हिन्दू मूलरूप से पराक्रमी होता है। एक हजार साल की दास्ता ने क्या इस पराक्रम को खोखला कर दिया है। अगर ऐसा है तो हमें फिर से उठ खड़े होना होगा।


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