पेट्रोल और डीजल की कीमतों में केन्द्र की कटौती
-वीरेन्द्र देव गौड़, पत्रकार, देहरादून
प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने जापान में कहा कि मैं मक्खन पर नहीं पत्थर पर लकीर खींचता हूँ। तभी तो प्रधानमंत्री ने केन्द्र सरकार के कोटे से दूसरी बार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की है। यह कटौती मामूली नहीं है। देश में तेल की कम्पनियाँ अपने स्तर पर कीमतों का निर्धारण करती रहती हैं। यह अधिकार इन कम्पनियों को मोदी सरकार ने नहीं दिया। यह अधिकार इन कम्पनियों को मनमोहन की सरकार ने दिया था। आज मनमोहन का ही दल वामपंथियों और अन्य संगी साथियों के साथ मिलकर छाती पीटता फिरता है। पेट्रोल और डीजल की बढ़ोत्तरी पर हाय तौबा मचाता फिरता है। देशवासियों को गुमराह करते हैं ये लोग। एक बार फिर मोदी सरकार ने अपने स्तर से और अपने कोटे से अपने खजाने से यह कटौती की है। इस कटौती में राज्य सरकारों का कोई योगदान नहीं है। लेकिन इसके बावजूद मोदी के विरोधी मोदी को गाली देने से बाज नहीं आ रहे हैं। मोदी विरोधियों की राजनीति केवल मोदी को गाली देते हुए छाती पीटने तक सीमित रह गयी है। मोदी विरोध में ये लोग झूठ की हर सीमा को तोड़ने के आदी हो गए हैं। ये लोग मोदी की परोपकारी नीतियों से भयभीत हैं। इन्हें अभी से यह डर सताने लगा है कि यदि मोदी तीसरी बार केन्द्र की सत्ता में बना रहा तो इनका राजनीतिक व्यवसाय चौपट हो जाएगा। ये कहीं के नहीं रहेंगे। किसी भी मोदी विरोधी नेता ने दो बार मोदी के द्वारा केन्द्र के हिस्से से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती का स्वागत नहीं किया। उल्टा ये लोग तरह-तरह के कुतर्क गढ़कर मोदी को खलनायक साबित करने पर तुले हुए हैं। ये लोग अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मची खलबली को बहस के केन्द्र में नहीं लाते। मोदी को घेरने के लिए सच का गला घोंटते हुए अपने कुतर्कों से मोदी को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं ताकि लोग मोदी के विरूद्ध हो जाएं। केन्द्र सरकार रसोई गैस सिलेन्डर के मोर्चे पर भी ग्राहक को राहत देने की तैयारी में है। मोदी ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो राजनीति के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के हर पहलू पर नजर बनाए रखते हैं। उनका मकसद है देश के लोगों को उलझनों से बचाना। परन्तु राज्य सरकारों का भी तो रोल होता है। राज्य सरकारें कई बार अपनी कमियों को छिपाने के लिए केन्द्र सरकार पर दोष मढ़ देती हैं। गैर भाजपाई राज्य सरकारें ऐसा जमकर कर रही हैं। केन्द्र की नीतियों से हो रहे तमाम विकास कार्यों का पूरा श्रेय ऐसी सरकारें खुद ले लेती हैं। अधिकतर लोग इनके झाँसे में आ भी जाते हैं। नैतिकता का तकाजा तो यह है कि राज्य सरकारों को स्पष्ट कहना चाहिए कि कौन सा विकास राज्य सरकार की सोच का नतीजा है और कौन सा विकास कार्य केन्द्र के धन से हो रहा है। ऐसी साफगोई लोकतंत्र में बहुत आवश्यक है। परन्तु ऐसा नहीं हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार दोहराया है कि वे राजनीति नहीं करते। वे देशनीति करते हैं। इसके बावजूद, मोदी के विरोधी अपनी संकीर्ण सोच से बाज नहीं आ रहे। राजनीति का यह घिनौना चेहरा लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। जापान की सुजुकी कम्पनी भारत में निवेश करेगी और बिजली से चलने वाली कारें बनाएगी। मोदी ने सुजुकी कम्पनी से यह करार किया है। जापान में मोदी भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का जतन कर रहे हैं। दूसरी ओर क्वाड के एक नेता की हैसियत से जापान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका और अपने देश भारत का रक्षा गठबंधन और मजबूत करने का प्रण लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी की नीति स्पष्ट है वे एशिया प्रशांत क्षेत्र में खुशहाली का दौर लाना चाहते हैं जिसमें भारत की अहम् भूमिका है। देश में मोदी के विरोधी कभी भी इन योजनाओं का जिक्र नहीं करते। इसमें दो राय नहीं कि मोदी के विरोधी नकारात्मकता से भर चुके हैं।
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