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करनाल की कल्पना चावला ऐसे छाई दुनिया में (17 मार्च 1962-एक फरवरी 2003)

space star kalpana lost in the infinite world of stars forever

-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
प्रारंभिक शिक्षा करनाल, हरियाणा से हासिल कर पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चण्डीगढ़ से वैमानिक अभियांत्रिकी की स्नातक डिग्री लेने के बाद संयुक्तराज्य अमेरिका में आगे की पढ़ाई पूरी करने वाली कल्पना चावला ने 1986 में एक और उच्च डिग्री हासिल की। इसके बाद 1988 में उन्होंने कोलोराडो विश्वविद्यालय से वाचस्पति की उपाधि पाई। उन्हें व्यावसायिक विमान चालन में प्रामाणिक दक्षता हासिल थी। इसके अलावा एकल और बहुल इंजन वायुयानों के व्यावसायिक विमान चालन का भी उन्हें लाईसेन्स प्राप्त था। नासा की एक प्रमुख वैज्ञानिक होने के नाते उन्हें अंतरिक्ष यात्री बनने का अवसर मिला था। कल्पना ने निरन्तर संघर्ष के बल पर खुद को निखारते हुए इतना सक्षम बना लिया था कि उन्हें अमेरिका की ओर से एक विशेष अंतरिक्ष अभियान के लिए चुना गया। 1983 में उन्होंने उड़ान प्रशिक्षक और विमान लेखक (trainer and writer) पियरे हैरीसन से शादी की और 1990 में अमेरिका की नागरिक बनीं। कल्पना बचपन से ही जहाँगीर रतन जी दादाभाई टाटा से प्रेरित थीं। रतन जी सुप्रसिद्ध भारतीय विमान चालक और उद्योगपति थे। कल्पना चावला ने अमेरिका के साथ-साथ भारत को भी प्रसिद्धि दिलाई। वे अंतरिक्ष में पँहुचने वाली पहली भारतीय मूल की महिला हैं। दूसरी अंतरिक्ष यात्रा में उनका अभियान असफल रहा। वापसी में पृथ्वी के वायुमण्डल में यान के प्रवेश करते ही दुर्घटना हुई और संसार ने कल्पना जैसी अद्वितीय (extraordinary space scientist) वैज्ञानिक को खो दिया। यह एक फरवरी 2003 की दुर्घटना है जब कल्पना अपने जीवन के मात्र 41वें वसन्त में थीं। इस दुर्घटनाशुदा स्पेस शटल का नाम सिम्युलेटर था। वे सितारों से लौटते समय सितारों की हो गईं। उनके अनगिनत पल स्पेस के लिए बीते और कई अनगिनत पल स्पेस में बीते। कल्पना स्पेस के लिए थीं और हमें उसे स्पेस में ही छोड़ना पड़ा। भले ही वे शादी के बाद अमेरिकन थीं किन्तु उनका दिल भारतीयता से ओतप्रोत था।
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून ।


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