देवीधूरा/देहरादून (नेशनल वार्ता ब्यूरो)। उत्तराखण्ड के पहाड़ी भूभाग में जंगली हाथियों की संख्या बढ़ रही है। इसे खुशी की खबर माना जाए या आपदा की निशानी। स्थानीय लोग इस मामले में असमंजस की स्थिति में हैं। इन हाथियों को नियंत्रित रखना चुनौती बनता जा रहा है। समय-समय पर हाथियों द्वारा स्थानीय लोगों पर हमला किये जाने की खबरें सुर्खियों में रही हैं। स्थानीय लोगों की चिंता का यही कारण है। घासपात काटने गई महिलाओं के लिए यह किसी समस्या से कम नहीं है। देवीधूरा क्षेत्र में हाथियों ने आधीरात बस्ती में घुसकर एकाएक अफरा तफरी का माहौल खड़ा कर दिया। घरों की खिड़कियां और दरवाजे तोड़ डाले। बस्ती से लगी फसलें कुचल डालीं। घबराए लोगों ने बर्तन बजाकर और चिल्ला-चिल्ला कर किसी तरह हाथियों को भगाने की कोशिश की मगर हाथियों पर कोई असर नहीं पड़ा। रात्रि लोगों ने जैसे तैसे भय में काटी किन्तु सुबह आठ बजे के आसपास जंगली हाथी दोबारा प्रकट हो गए। कुछ देर बाद वन विभाग के कर्मचारियों की सहायता से हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ा गया। किन्तु लोगों का डर बरकरार है। क्योंकि देवीधूरा के रंेज में हाथियों का खतरा बना ही रहता है और इस समस्या का स्थाई निराकरण संभव नहीं लग रहा है। हालाँकि पर्यावरणविदों के लिए हाथियों की संख्या बढ़ना एक अच्छा संकेत हो सकता है किन्तु लोगों को भय से मुक्त नहीं किया गया तो उनके रोजमर्रा के जीवन पर विपरीत असर पड़ सकते हैं।