आपने दिया पाकिस्तान
कश्मीर माँगा जा रहा
कश्मीर आधा छीन लिया
कश्मीर आधा छिन रहा
लावा नफरत का उगल रहा
फिर उस हिस्से की माँग होगी
जहाँ उनकी आबादी का ज्वार चढ़ रहा
यह वो सुलगती आग है
जिसे बाबर और औरंगजेब सुलगा गए
ये वो बेचैन जिहाद है
जिसे बुतपरस्ती के जानी दुश्मन फरमा गए
नेहरू-गाँधी भरमा गए
हम उस चौराहे पर आ गए
चाहे सीमा पार वाले यहाँ के मुसलमानों को मोहाजिर कहें
चाहे भारत से गए मुसलमान वहाँ जिल्लत सहें
पर हम यहाँ के जिहादी मुसलमानों को पाकिस्तानी हरगिज ना कहें।
हमने सहा हम सहते रहें
उफ तक हम ना करें
लुटतें रहें पिटते रहें सलाम करते रहें
लोकतंत्र की आड़ में मुगलिया सल्तनत ढोते रहें
गाय कटवांए बछड़े कटवाएं झंडे तिरंगे जलाते रहें
गेरुए रंग पर रात-दिन हम लानत धरते रहें
तीन तलाक की कुप्रथा पर शोर जरा भी ना करें
मुसलमानों की तीन-तीन चार-चार शादियों पर तोहमत ना धरें
सरहद पर मर-मिटने वालों को शहीद हरगिज ना कहें
देश तोड़ने वालों को शहादत का दावेदार कहें
संसद पर हमला करें जो उन्हें हम भगत सिंह कहें
जान हथेली पर धरें कश्मीर के जिहादियों को कसें
उन्हें एफ आई आर के तोहफे अदब से पेश करें
देश की खिदमत के ये अंदाज-ए-वयाँ नायाब हैं
तभी तो पाकिस्तान परस्त भारत में कामयाब हैं।
बहुसंख्यक का खिताब जानी ओवेसियो अब्दुल्लाओ जिल्लत बन गया
अल्पसंख्यकों की ज्यादतियों का जालिम दौर जो है चल पड़ा।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor (NWN)