देहरादून (सू0वि0) । मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में राज्य स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कई योजनाओं में खर्च की धीमी रफ्तार पर नाराजगी व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने संबन्धित विभागों को खर्च की रफ्तार बढ़ाते हुए कार्यों में गति लाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को तीन माह में कार्य में अपेक्षित प्रगति लाने की हिदायत दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि काम सिर्फ कागजों पर नही बल्कि धरातल पर दिखने चाहिये। फील्ड में किये जा रहे कार्यों की शत प्रतिशत जिओ टैगिंग सुनिश्चित की जाय। विशेष रूप से मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रमों के खर्च में तेजी लाने के निर्देश दिये। विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के आधार लिंक कार्यक्रम हेतु जनपदों में अधिकारियों-कर्मचारियों को लक्ष्य देने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि आधार लिंक हेतु लाभार्थी तक पहुंचकर उसे प्रोत्साहन देते हुए उसे सहयोग दिया जाय। समाज कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति वितरण समय से किया जाय। साथ ही साथ सत्यापन का कार्य भी जारी रखा जाय। प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत 99.28 प्रतिशत श्रमिकों के खातों की आधार से लिंकिग हो गई है परन्तु अभी केवल 69 प्रतिशत सक्रिय श्रमिकों को बैंक से भुगतान हो रहा है। मुख्यमंत्री ने मनरेगा भुगतान प्रक्रिया में जल्द से जल्द सभी जाॅब कार्ड धारकों के आधार को उनके बैंक खातों से जोड़ते हुए 100 प्रतिशत आधार आधारित भुगतान सुनिश्चित करने को कहा। मनरेगा के अंतर्गत उद्यान विभाग की धीमी प्रगति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सी.एम. ने प्रमुख सचिव स्तर पर अलग से समीक्षा कर स्थिति में सुधार लाने के निर्देश दिये। सी.एम. ने यह बैठक हर तीन माह पर नियमित आयोजित करने के निर्देश भी दिये। ’प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास द्वारा अवगत कराया गया कि राज्य में अल्पसंख्यक तथा अनु जाति/जनजाति के लक्ष्य के अनुरूप पात्र लाभार्थी उपलब्ध न होने के कारण भारत सरकार से लक्ष्य संशोधन हेतु अनुरोध किया गया है।’ बैठक में बताया गया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सितम्बर 2017-18 तक कुल 1416 स्वीकृत कार्यों के सापेक्ष 983 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। कुल 11 हजार 143 कि.मी. सड़क के लक्ष्य के सापेक्ष 8123 कि.मी. सड़क निर्मित हो चुकी है। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम में कुल 85 करोड़ 18 लाख रूपये के सापेक्ष वर्तमान वित्तीय वर्ष में 31.4 करोड़ रूपये(37 प्रतिशत) व्यय हुए है। बताया गया कि इस वर्ष 522 असेवित बसावटें तक जलापूर्ति का लक्ष्य पूरा कर लिया जायेगा। ’नाबार्ड से अवशेष योजनाओं में धनराशि प्राप्त कर योजनाओं को पूर्ण कराये जाने का प्रयास किया जा रहा है।’ स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) में 159 करोड़ के सापेक्ष 60.66 करोड़ रूपये(38.14 प्रतिशत) का व्यय तथा राष्ट्रीय सामाजिक सहायता योजना में 287.85 करोड़ रूपये के सापेक्ष 49 करोड(17 प्रतिशत) का व्यय बताया गया। बैठक में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय अर्बन मिशन आदि की अद्यतन प्रगति का विवरण भी रखा गया। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देश के क्रम में राज्य स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष ग्राम्य विकास मंत्री होते है। समिति में राज्य के चार लोकसभा सदस्यगण, एक राज्य सभा सदस्य, राज्य सरकार द्वारा नामित पांच विधायकगण भी सदस्य होते है। इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव/सचिव/विभागाध्यक्ष भी सदस्य होते है।
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