जिहाद तेरा खयाल है
जिहाद तेरी खाल है
जिहाद तेरी चाल है
जिहाद तेरी ढाल है
तू जिहाद की तलवार है
जिहाद के नाम परा फिदा तेरा वार है।
तू जिहाद की औलाद है
जिहाद तेरा स्वाद है
जिहाद तेरे दिमाग में भर गया मवाद है
जिहाद की करतूतों से मन तेरा आबाद है
हिन्दू का खात्मा तेरी जिहादी मुराद है।
देख जिहादिस्तान तू
जिहाद का राग छोड़ दे
हिन्दू की बर्बादी का अपना ख्वाब छोड़ दे
जिहाद का ज़हर उगलना अब बन्द कर
समझाता आ रहा है भारत जिद मत कर
शास्त्री जी के समय में लाहौर तक गए थे हम
अब की बार इस्लामाबाद के आसमान में तिरंगा लहराएगा
देख जिहादिस्तान तब तू खून के आँसू बहाएगा
लेकिन माफी की भीख हरगिज नहीं पाएगा।
virendra dev gaur
chief editor (nwn)