औरैया के दंपती ने बुधवार को तीसरे बच्चे को जन्म दिया। तीसरा बच्चा भी हाईग्रेड फीवर से पीड़ित हुआ। औरैया के दंपती के दो बच्चे पहले से ही मर चुके हैं। तीसरे बच्चे की मौत की खबर सुनते ही मां बेहोश हो गई। वहीं, मृत बच्चे को पिता ने मुंह से ऑक्सीजन पिलाया।
औरैया में रहने वाले दंपती का तीसरा बच्चा भी मर गया। तीसरे बच्चे को हाईग्रेड फीवर ने मार डाला। बुधवार को रोगी को भर्ती किया गया था। मां सोनी और दादी लक्ष्मी बालरोग अस्पताल के बाहर बच्चे की मौत की खबर सुनकर बेहोश हो गईं।
बहुत देर तक, पिता बच्चा को मुंह से ऑक्सीजन देता रहा, यकीन करके कि बच्चा जीवित है। वह भी काफी देर तक फफक पड़ा। रोगी के परिजनों ने बताया कि आदित्य का स्वास्थ्य बुखार के बाद 17 महीने बिगड़ गया था। उसे पहले शास्त्रीनगर के एक निजी अस्पताल में ले गया। बच्चे की स्थिति गंभीर होने पर हैलट भेजा गया।
डॉक्टरों ने बालरोग अस्पताल में भर्ती करके इलाज शुरू किया, लेकिन बच्चा बच नहीं पाया। उनका कहना था कि पहले दो बच्चे दो साल में और दूसरा नौ महीने में मर गया था। इसके अलावा, बालरोग की ओपीडी में बुखार से सबसे अधिक लोग आए।
ओपीडी में साढे छह सौ मरीज आए, मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया। जोड़ों के दर्द से सबसे ज्यादा पीड़ित थे। व्हील चेयर पर कई लोग आए। चिकनगुनिया रोगियों में लक्षण बढ़ रहे हैं। रोगियों के शरीर पर चकत्ते हैं। 50 मरीजों को रात भर इमरजेंसी में भर्ती किया गया था।
साथ ही, यूडीएसपी पोर्टल पर पांच चिकुनगुनिया और दो डेंगू संक्रमितों की सूची दी गई। पनकी और सरसौल के डेंगू संक्रमित हैं। 110 बुखार पीड़ितों की सूची जारी की गई। 52 लोगों में डेंगू का संदेह था और 110 लोगों में मलेरिया के लक्षण थे। संचारी रोग अभियान की टीम ने 41 घरों में डेंगू फैलाने वाले मच्छर का लार्वा पकड़ा है।
रोगी को डॉक्टर नहीं आने का आरोप मंगलवार रात महाराजपुर निवासी रहीश का बेटा मुन्ना (29) बाइक से घर लौट रहा था। महाराजपुर थाने के सामने एक अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मारकर गंभीर घायल कर दिया। रात दो बजे पुलिस ने उसे हैलट लेकर इमरजेंसी में भेजा। बाद में उसे इमरजेंसी वार्ड नंबर आठ में डॉक्टरों ने शिफ्ट कर दिया।
पीडित व्यक्ति को कोई चिकित्सक नहीं आया, मरीज को लेकर चला गया
परिजनों का कहना है कि वह रात भर दर्द से तड़पता रहा और किसी डॉक्टर को बुलाने पर कोई नहीं आया। जब परिजनों ने स्टाफ से शिकायत की, तो उसने मरीज को इमरजेंसी अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी। युवक इमरजेंसी के पास स्ट्रेचर पर लेटा हुआ था।
उसका सहारा माँ रईसा ने दिया। युवक को उनके परिजनों ने निजी अस्पताल में ले जाया क्योंकि डॉक्टर नहीं आए। मामले की जानकारी नहीं है, प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके सिंह ने बताया। फिर भी मामले के बारे में पता लगाया जाएगा।