-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
राष्ट्र मण्डल खेलों में भी भारत के नौजवानों ने अपनी क्षमता जता दी है। भारत के नौजवान अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं। बजंरग पुनिया ने स्वर्ण पदक जीत कर अपनी एकाग्रता का परिचय दिया। बजरंग पुनिया भारत के ऐसे पहलवान हैं जो लगातार अपनी मेहनत का जलवा दिखा रहे हैं। पुनिया को अगले ओलम्पिक में भी स्वर्ण पदक के लिए मेहनत करनी चाहिए। वह मेहनती और होनहार पहलवान है। उनके अलावा भारतीय पहलवान साक्षी मलिक ने भी स्वर्ण पदक झटका। दीपक पुनिया ने भी स्वर्ण पदक हासिल किया। अभी तक भारत 9 स्वर्ण पदक लेकर पाँचवें स्थान पर है। भारत को अभी तक आठ रजत पदक, नौ कांस्य पदक प्राप्त हो चुके हैं। कल तक भारत कुल 26 पदक प्राप्त हासिल कर चुका है। इसमें दो राय नहीं कि भारत खेलों में प्रगति कर रहा है लेकिन भारत अभी भी आस्ट्रेलिया और इंग्लैण्ड जैसे देशों से बहुत पीछे है। पीछे रहने की हर वजह को तलाशना होगा। हर वजह पर काम करना होगा। खेलों में भ्रष्टाचार को पूरे तरीके से समाप्त करना होगा। जब भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है तो भारत आस्ट्रेलिया से इतना पीछे क्यों। आस्ट्रेलिया अभी तक 134 पदक हासिल कर चुका है। जबकि इंग्लैण्ड 122 । यहाँ तक कि कनाड़ा और न्यूजीलैण्ड भी भारत से बहुत आगे हैं। यह भारत के लिए शर्म की बात है। हम किस महान भारत की बात करते हैं। वह महान भारत जो आस्ट्रेलिया और कनाड़ा जैसे देशों से बहुत पीछे है। कम से कम खेलों में तो हम सबसे आगे होने चाहिएं। भारत की जलवायु स्वभाव से ही हमें मेहनती बनाती है। जब हम मेहनत में पीछे नहीं हैं तो खेलों में पीछे क्यों हैं। अगर भारत को महान बनना है तो खेलों में भी महान बनना पड़ेगा।