राम का नाम मिटाने पर तुले
-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
कहते हैं कुछ लोग क्या होता है जिहाद। दूसरों के भगवान को मिटाना, दूसरों की पहचान को मिटना और अंत में अपनी कॉम बना डालना ही जिहाद है। यह जिहाद, जिहादी आतंक है। इसमें कभी बन्दूक, कभी हथगोला, कभी बलात्कार, कभी घर जला देना और पत्थरबाजी शामिल है। जब तक भारत जिहाद को लेकर जागरूक नहीं होता तब तक राम को मिटाने की साजिशें चलती रहेंगी। क्योंकि राम ही वह विराट व्यक्तित्व है जिसने जिहाद की आँधी को थामा हुआ है। इसीलिए तो बाबर ने अपने सिपहसालार मीरबाँकी को अयोध्या भेज कर 1528 में श्रीराम मन्दिर का विघ्वंस कराकर जिहाद का बिगुल बजाया था। आज कहने को तो हम किसी सल्तनत के दास नहीं। किसी मुगलिया सल्तनत के गुलाम नहीं। किसी अंग्रेजी सत्ता के मोहताज नहीं। लेकिन आज भी हम दासों की तरह ही बेबस हैं। कथित सेक्युलर संविधान ने बाकी कसर निकाल दी है। सेक्युलर संविधान जिहाद और जिहादी आतंक को रोकने में सफल नहीं है लेकिन वह हिन्दू विरोधी सरकारों को हिन्दू धार्मिक उत्सवों पर रोक लगाने की अनुमति जरूर दे रहा है। यही है आजाद देश की गुलामी जहाँ बहुसंख्यकों के हाथ पाँव बाँध दिए गए हैं। हिन्दू नव वर्ष दो अप्रैल के दिन राजस्थान के करौली में योजना बनाकर तसल्ली से हिन्दुओं के जुलूस को तहस-नहस कर दिया गया। हिन्दुओं के जख्मों पर मलहम लगाने की बजाय हिन्दू उत्सवों पर रोक लगाकर नमक छिड़क दिया गया। अब राजस्थान में हिन्दुओं को झण्डे लेकर नारे लगाते हुए जुलूस निकालने की आजादी नहीं होगी। इस पत्थर काण्ड के बाद अन्य राज्यों में राम नवमी के दिन दिल खोलकर जिहाद यानी जिहादी आतंक बरपाया गया। गुजरात की एक बस्ती से तो हिन्दुओं का पलायन तक हो चुका है। पलायन करने वाले इन हिन्दुओं ने पत्रकारों को बताया कि राम नवमी के अवसर पर हर बार उन पर जान लेवा हमला होता आया है। लिहाजा, वे तंग आकर बस्ती छोड़ रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी यही जिहादी षड़यंत्र रचा गया। वहाँ तो एक एसपी तक की टाँग में गोली मार दी गयी। एक बच्चा शुभम जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहा है। कई हिन्दू घायल कर दिए गए। पहले से ही लाठी डण्डे तलवारें और पेट्रोल बम छतों पर तैयार रखे गए थे। इन हथियारों के अलावा बड़े-बड़े पत्थरों से राम के भक्तों को मसल दिया गया। इसके बावजूद भी बेहयायी देखो कथित सेक्युलर कह रहे हैं कि गंगा जमुनी संस्कृति में यह ठीक नहीं। उल्टा राम भक्तों पर ही तोहमतें दागी जा रही हैं। टुकड़े-टुकड़े गैंग, मोमबत्ती गैंग, अवार्ड वापसी गैंग और तेरा मेरा रिश्ता क्या या इलाहा इल्लाह गैंग आँखें मूँदे बैठे हैं। क्योंकि ये ही या तो जिहादी हैं या जिहादियों के हमदर्द सेक्युलर गैंग। किसी मुसलमान के घायल होने की कोई सूचना नहीं है फिर भी टीवी न्यूज चैनलों में आकर जिहादी गैंग गरमा गरम बहसों में चटपटे तर्क पेश कर रहे हैं। भारत का वर्तमान जिहाद ग्रस्त है और भविष्य आइने की तरह साफ दिखाई दे रहा है। जय हो सेक्युलर संविधान की और जय हो बाबा अम्बेडकर की। -वीरेन्द्र देव गौड, पत्रकार, देहरादून