-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
गुजरात के कौमी दंगों का मास्टर माइन्ड मोदी को कहा जाता रहा है। मोदी के विपक्षियों ने शुरू से ही मोदी पर निराधार आरोप मढ़े। किसी ने मौत का सौदागर कहा तो किसी ने खूनी। जब नरेन्द्र दामोदर दास मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वहाँ भयानक दंगे हुए। दंगों की वजह सभी जानते हैं। लेकिन मोदी के विपक्षियों ने तब कहा था कि मोदी ने मुसलमानों का नरसंहार कराया। मोदी को दोषी सिद्ध करने के लिए मीडिया के एक हिस्से ने जबरदस्त कसरत की। मीडिया के इस हिस्से ने मोदी विरोधी राजनीतिज्ञों, कुछ स्वैच्छिक संगठनों के साथ मिलकर मोर्चे तैयार किए और मोदी को घेरा। मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह ने एक इन्टरव्यू में स्पष्ट किया कि उन्होंने मोदी जी को वर्षों से विष का घूंट पीते हुए देखा है। उन्होंने अपने पर लगाए गए आरोपों पर केवल इतना ही कहा है कि मामला कोर्ट में है। यानी आज के प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बेगुनाही के पक्ष में कभी कुछ नहीं कहा। उन्हें यकीन था कि सर्वोच्च अदालत से उन्हें न्याय मिलेगा और लोगों को सच्चाई का पता लग जाएगा। सोनिया गाँधी ने उन्हें बिना सोचे समझे मौत का सौदागर कहा। तब अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री हुआ करते थे। लेकिन मोदी ने कभी किसी पर पलटवार नहीं किया। वे संयम का बाँध बाँधे रहे। अब सभी राजनीतिज्ञों को जिन्होंने उन्हें कौमी दंगों का सूत्रधार कहा था, माफी मांगनी चाहिए। यदि ये राजनीतिज्ञ ऐसा नहीं करते हैं तो देश में राजनीति का स्तर गिरता ही चला जाएगा। देश में उस वक्त मोदी के पक्ष में बोलने वाला कोई अखबार और पत्र पत्रिका नहीं थी। दिल्ली से लेकर पाकिस्तान तक यही माहौल बनाया गया कि नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के हाथ मुसलमानों के खून से रंगे हुए हैं। अब तो वे पाक दामन साबित हुए हैं। मोदी विरोधियों को सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए।