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बाढ़

बाढ़ से निपटने के लिए स्थाई बन्दोबस्त जरूरी

भारत एक विकासशील देश है और यह विकसित देश बनने की ओर अग्रसर है। भारत में बाढ़ प्रबन्धन और निपटान के लिए केंद्र में अलग से एक मंत्रालय होना चाहिए। यह मंत्रालय राज्यों से समन्वय करके बाढ़ की समस्या से निपट सकता है। बाढ़ जैसी विपदा से निपटना वैसे भी अकेले किसी राज्य के बस में नहीं। इस समय असम भयानक बाढ़ से जूझ रहा है। पिछली बरसात में बिहार भयानक बाढ़ की विपदा से जूझा था। अभी तो पूरा सावन भादों बचा है। कोई भी राज्य बाढ़ की चपेट में आ सकता है। उत्तर प्रदेश भी बाढ़ग्रस्त है। उत्तराखण्ड भी बाढ़ग्रस्त हो सकता है। इसीलिए, समूचे उत्तर भारत की हिमालय से निकलने वाली नदियों का व्यापक अध्ययन होना चाहिए। नेपाल और तिब्बत से आने वाली नदियों का भी लेखाजोखा होना चाहिए। वैज्ञानिकों के लिए यह पता करना कोई मुश्किल काम नहीं कि कौन सी नदी कितनी वर्षा होने पर कितना पानी बहा कर ला सकती। इस गणना के आधार पर बाढ़ प्रबन्धन डैम बनने चाहिएं। बाकी महीनों में इन बाँधों के पानी को तरह-तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह सैकड़ों छोटे बड़े बाँध बनने चाहिए। जिनका मकसद केवल बाढ़ के पानी को रोकना है। जब तक ऐसी स्थायी और टिकाऊ व्यवस्था नहीं होगी भारत की उपजाऊ मिट्टी नष्ट होती रहेगी। भारत की वन संपदा, जन संपदा और व्यापक धन की तबाही होती रहेगी। आने वाले समय में तो मौसम चक्र के पलटने की आशंका है। ऐसी आशंका से निपटने के लिए भी यह जरूरी है। नदियों को जोडना भी एक विकल्प है। इस विकल्प का भी प्रयोग किया जा सकता है। वैसे भी भारत जल प्रबन्धन में बहुत पिछड़ा हुआ है। जल प्रबन्धन और वन प्रबन्धन के साथ-साथ उपजाऊ माटी का प्रबन्धन भविष्य में देश के काम आएगा। यह किया जाना जरूरी है। इस समय केन्द्र में एक मेहनती सरकार है। यह सरकार यह सब कर सकती है। आया राम गया राम वाली सरकारें केवल अपनी कुर्सी बचाती हैं और भ्रष्टाचार फैलाती हैं। भारत को अगर एक शक्तिशाली देश बनाना है तो इन तीन संपदाओं का संरक्षण और संवर्धन बहुत आवश्यक है।

 

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