-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
नीति आयोग की बैठक से निकलते समय मुख्यमंत्री धामी किसी पत्रकार से कह रहे थे कि उत्तराखण्ड के लिए विशेष विकास के पैकेज चाहिएं। उत्तराखण्ड सीमांत राज्य है और इसकी संवेदनशीलता जगजाहिर है। उत्तराखण्ड की सीमा चीन जैसे देश से लगती है। नेपाल से भी उत्तराखण्ड जुड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री की बात का मर्म क्या था यह तो पता नहीं लेकिन उत्तराखण्ड के सीमावर्ती जनपदों जैसे पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और चमोली में सीमा पर इस तरह का परिवेश होना चाहिए जो सीमा पार से देशद्रोही गतिविधियों को समाप्त करने में सहायक हो। चीन जैसा देश नेपाल, बांग्लादेश, बर्मा और पाकिस्तान में भारत के खिलाफ माहौल बनाता रहता है। वह भारत को इन देशों के माध्यम से कमजोर करना चाहता है। इसीलिए उत्तराखण्ड का चहुमुँखी विकास ऐसा होना चाहिए जो आपातकाल में भी टिकाऊ साबित हो सके। मुख्यमंत्री को ऐसी योजनाएं और परियोजनाएं बनानी चाहिएं जो राज्य को मजबूती दें। उत्तराखण्ड एक सैनिक प्रदेश है। मुख्यमंत्री को अवकाश प्राप्त योग्य सैनिकों को भी उत्तराखण्ड की सुरक्षा में लगाना चाहिए। ऐसे मौलिक प्रयास उत्तराखण्ड के लिए हमेशा महत्वपूर्ण माने जाते रहे हैं। केन्दीय योजनाओं को तत्परता से जमीन पर उतारने की कोशिशें तेज की जानी चाहिए। उत्तराखण्ड के पास एक अच्छा अवसर है कि केन्द्र में भी उन्हीं की सरकार है। ऐसे अवसर बार-बार नहीं मिलते। पूरे प्रदेश में रोपवे का जाल बिछाए जाना चाहिए। सरकार इस मोर्चे पर काम भी कर रही है। लेकिन यह काम राज्य के लिए बहुत कारगर है। बाढ़ के समय पुल तक बह जाते हैं। ये रोपवे राज्य के यातायात को फुर्तीला बना देंगे। रोपवे से किसी तरह का पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होता। साथ में पर्यटन और धर्माटन को भी बढ़ावा मिलता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बाखूबी जानते हैं कि दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाए जाने पर राज्य के लोगों की उनसे बहुत अपेक्षाएं हैं।