-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
तीन दलों की तिगाड़ी सरकार डग्गा मार बस की तरह चल रही थी। ऊपर से मंत्रियों का भ्रष्टाचार। दो मंत्री जेल में हैं। इसके बावजूद बेहयाई से चला रहे थे उद्धव अपनी सरकार। उद्धव का अपने पिताश्री बाला साहेब ठाकरे के सिद्धांतों से किनारा कर लेना उद्धव के लिए श्राप सिद्ध हो रहा है। इसके अलावा उद्धव को सांसद नवनीत राणा का श्राप भी लगा है। किसी नारी को बेवजह प्रताड़ित करना और वह भी इस हद तक कि उसकी जान ही खतरे में पड़ जाए। धिक्कार है उद्धव तेरे कुर्सी प्रेम पर। नवनीत राणा और उनके विधायक पति को निराधार कारावास दिया गया। न्याय व्यवस्था ने भी सरकार का साथ दिया। हालाँकि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के खूंखार लोगों ने पति पत्नी को जेल भेजने का षड़यंत्र रचा था। फिर भी शिवसेना को इस अपराध से बरी नहीं किया जा सकता है। शिवसेना कथित महाअघाड़ी के इन दलों को प्रसन्न रखने के लिए किसी भी हद तक जा रही थी। इसका नतीजा यह हुआ कि जिस उद्धव ने मुख्यमंत्री बनने के लालच में अपने पिता के सिद्धांतों का खून कर दिया वह उद्धव राष्ट्रहितों को भी नजर अंदाज करने लगा था। नतीजा सामने है। अब कोई माई का लाल उद्धव सरकार को बचा नहीं सकता। भाजपा की सरकार बने या ना बने किन्तु शिव सेना, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार गई। यही होता है जब कोई सरकार निरंकुश राजा की तरह व्यवहार करने लगती है। उद्धव खुद को महाराजा समझ बैठे थे। उनको यह लगने लगा था कि शासन प्रशासन उनके चारों ओर मडराने लगा है तो यह चलता रहेगा। वह यह भूल गए कि सत्ता बहुत चंचल होती है। शिंदे ने विद्रोह कर दिया है और उनका विद्रोही झण्डा फिलहाल गुजरात में फहरा रहा है। यह झण्डा नई सरकार के गठन तक यों ही बुलन्द रहने वाला है। एकनाथ शिंदे कह रहे हैं कि वे बाला साहेब के हिन्दुत्व से आगे अब कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं। हो सकता है कि कांग्रेस के कुछ चंचल और अवसरवादी विधायक भी नई सरकार का हिस्सा हों। बहरहाल, महाराष्ट्र को इस नालायक सरकार से मुक्ति मिल गई समझो।