हरिद्वार । हाईकोर्ट ने गंगा से पांच किलोमीटर के दायरे में स्थित स्टोन क्रेशरों को हटाने के आदेश दिए हैं। केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) की धारा 5 के तहत कार्रवाई करने के आदेश कोर्ट ने दिये हैं। मातृ सदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती ने पत्रकारों से बातचीत में कोर्ट के इस फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि अब शासन को आदेश का पालन करते हुए तत्काल गंगा से पांच किलोमीटर के दायरे में स्थित स्टोन क्रेशरों को बंद करवा देना चाहिए। हाईकोर्ट ने यह फैसला कटारपुर अलीपुर (हरिद्वार) निवासी पवन कुमार सैनी व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। याचिकर्ता ने उत्तराखंड सरकार के साथ ही संबंधित विभागों व प्रशासन को पार्टी बनाया था। शिवानंद ने कहा कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने भी बीते साल गंगा से पांच किलोमीटर के दायरे में स्टोन क्रेशर लगाने पर पाबंदी लगा दी थी। फिर भी मिलीभगत से स्टोन क्रेशर काम करते रहे हैं। कटारपुर अलीपुर में लगे स्टोन क्रेशर को लेकर कहा कि ग्राम समाज की भूमि पर स्टोन क्रेशर लगाया गया। प्रधान के साथ ही प्रशासन को इसकी शिकायत की गई। लेकिन किसी ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। आखिरकार हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे गलत माना और आदेश जारी किया। सीपीसीबी की धारा 5 के तहत पर्यावरण संरक्षण एक्ट 1986 के तहत गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में स्टोन क्रेशर नहीं लग सकते हैं। शिवानंद ने कहा कि मातृ सदन पहले से ही इस मामले को हर मंच पर उठाता रहा। लेकिन खनन माफिया की मिलीभगत के कारण धारा 5 का कभी पालन ही नहीं किया गया है। उधर, कोर्ट के आदेश के बाद गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में आ रहे लगभग 40 से अधिक स्टोन क्रेशरों के बंद होने की संभावना बन गई है।
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